अशोक गहलोत की डिमांड नितिन गडकरी ने की पूरी, राजस्थान के सीएम हुए खुश
जयपुर
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार को केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से बात की और जोधपुर में एक एलिवेटेड रोड के निर्माण की मांग की। नितिन गडकरी ने राजस्थान के सीएम के प्रस्ताव को स्वीकार लिया है। गहलोत ने कहा कि इस सड़क को नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) को सौंप दिया गया है। राजस्थान के मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, ''जोधपुर में बनने वाली एलिवेटेड रोड को लेकर केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से वार्ता हुई। मुझे प्रसन्नता है कि मेरे आग्रह को स्वीकार करते हुए इस एलिवेटेड रोड का काम NHAI ने अपने हाथ में लिया है।
प्रदेश सरकार ने बजट 2019-20 में इसकी डीपीआर बनाने की घोषणा की थी जिसके क्रम में सार्वजनिक निर्माण विभाग, राजस्थान सरकार ने आवश्यक प्रस्ताव NHAI को भेज दिए थे। भारत सरकार ने हाल ही में प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसलटेंट की नियुक्ति की है जिसके द्वारा शीघ्र ही डीपीआर तैयार की जाएगी।'' एक अन्य ट्वीट में गहलोत ने लिखा, ''DPR तैयार होने के पश्चात इसकी निविदाएं आमंत्रित कर मौके पर निर्माण कार्य शीघ्र शुरू करने हेतु मैं NHAI से निवेदन करता हूं। मैंने पूर्व में गडकरी के साथ एलिवेटेड रोड को लेकर बैठक की थी। आशा करता हूं निकट भविष्य में इस सड़क का काम प्रारम्भ होकर जोधपुर में आवागमन सुगम हो सकेगा।''
ईआरसीपी को लेकर गहलोत ने शिवराज से बात की
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से बात की है। गहलोत के अनुसार, शिवराज ने इस मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री स्तर की बैठक करने पर सहमति जताई है। उन्होंने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा, ''पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) के संबंध में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से वार्ता कर उन्हें अवगत कराया कि 2005 में राजस्थान-मध्य प्रदेश अंतरराज्यीय नियंत्रण मंडल की 13वीं बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार ही इस योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है।'' गहलोत के मुताबिक, ''राजस्थान में चंबल की सहायक नदियों से प्राप्त हो रहे पानी पर आधारित इस परियोजना में मध्य प्रदेश से बहकर आने वाले पानी के 10 प्रतिशत से कम हिस्से का इस्तेमाल होगा। लिहाजा वर्ष 2005 में लिए गए निर्णय के अनुसार ऐसी परियोजनाओं के लिए मध्य प्रदेश की सहमति की आवश्यकता नहीं है।''