कॉलेजों में प्रवेश लेने की प्रक्रिया पर विराम, 2.70 लाख यूजी-पीजी की सीटें खाली
भोपाल
प्रदेश के 1329 प्राइवेट और सरकारी कॉलेजों की यूजी-पीजी की सीटों पर प्रवेश लेने की प्रक्रिया पर विराम लग गया है। पांचवीं सीएलसी के अलॉटमेंट पर होने वाले प्रवेश के बाद भी प्रदेश में 2.70 लाख सीटें रिक्त रह गई हैं। उच्च शिक्षा विभाग एक मुख्य और पांच सीएलसी राउंड समाप्त करा चुका है।
सरकार की प्लानिंग नहीं करा सकी सभी सीटों पर दाखिले
प्रदेश के 1329 प्राइवेट और सरकारी कॉलेजों की सीटों पर प्रवेश के लिए एक मुख्य एवं पांच सीएलसी राउंड समाप्त हो चुके हैं। अब तक यूजी-पीजी में पांच लाख 29 हजार एडमिशन हुए हैं। दो लाख 70 हजार सीटें खाली रह गई हैं। विभाग के एसीएस शैलेंद्र सिंह ने अपने दिल्ली के अनुभव के प्रदेश में लागू करने के सभी प्रयास किए, लेकिन उनके सभी प्रयास विफल रहे हैं। उनकी प्लानिंग पर अधिकारी और प्रोफेसर खरे उतरे, लेकिन वे कॉलेजों में प्रवेश के ग्राफ को ऊपर नहीं उठा सके। इसलिए प्रदेशभर के कॉलेजों में यूजी-पीजी की दो लाख 70 हजार सीटें रिक्त रह गई हैं। प्रोफेसरों को प्रवेश के टारगेट सहित कई योजनाओं पर कार्य करने के बाद भी एसीए प्रवेश के ग्राफ को ऊपर नहीं उठा सके।
पूरक रिजल्ट पर 5वीं सीएलसी कराई
यूजी में तीन लाख 93 हजार 135 और पीजी में एक लाख 36 हजार 260 प्रवेश हुए हैं। यूजी-पीजी में प्रदेश के निजी और सरकारी कॉलेजों की करीब आठ लाख सीटें हैं। इसमें से अंतिम दिन तक पांच लाख 29 हजार विद्यार्थियों ने कॉलेजों में प्रवेश लिए हैं। पांचवा अतिरिक्त राउंड उच्च शिक्षा विभाग माशिमं द्वारा जारी किए गए कक्षा 12वीं की पूरक परीक्षा परिणामों और रिक्त सीटों की स्थिति को देखते हुए चलाया गया था। इसमें विभाग को ज्यादा प्रवेश नहीं मिल सके हैं। कम प्रवेश के कई कारण सामने आए हैं।
सीटें घटार्इं पर बढेÞ नहीं प्रवेश
एसीएस शैलेंद्र सिंह ने काउंसलिंग शुरू करने के पूर्व ही कॉलेजों की तीन लाख सीटें कम कर दी थीं। गत वर्ष विभाग ने 11 लाख से ज्यादा सीटों पर काउंसलिंग कराई थी। वर्तमान में आठ लाख छह हजार सीटों पर काउंसलिंग की गई। इसके बाद भी वे पांच लाख 29 हजार प्रवेश कर सके। जबकि गत वर्ष पांच लाख 65 हजार प्रवेश हुए थे। एससीएस सिंह सीटों में कटौती नहीं करते तो वर्तमान में पांच लाख 70 हजार सीटें रिक्त रह जातीं।