BJP ने संसदीय बोर्ड में कर्नाटक से तेलंगाना तक साधा, मिशन दक्षिण की तैयारियां तेज
नई दिल्ली
भाजपा के मिशन दक्षिण में कर्नाटक व तेलंगाना सबसे ऊपर हैं। इनमें कर्नाटक में उसकी सरकार है, जबकि तेलंगाना में उसे बेहतर संभावनाएं दिख रही हैं। पार्टी ने हाल में संगठनात्मक फेरबदल में दोनों राज्यों के लिए अपनी रणनीति को मजबूत किया है। कर्नाटक से बी.एस. येदियुरप्पा व तेलंगाना से के. लक्ष्मण को पार्टी की सर्वोच्च नीति निर्धारक संस्था केंद्रीय संसदीय बोर्ड में शामिल किया गया है।
लोकसभा चुनाव के पहले इन दोनों राज्यों को विधानसभा चुनावों से गुजरना है। कर्नाटक में अप्रैल में और तेलंगाना में साल के आखिर में चुनाव संभावित हैं। ऐसे में भाजपा की कोशिश कर्नाटक में अपनी सरकार को बरकरार रखने व तेलंगाना में सत्ता हासिल करने की है। कर्नाटक के समीकरणों में पार्टी अपने समर्थक लिंगायत को मजबूती से जोड़े रखने में जुटी है। यही वजह है उसने एक साल पूर्व इस समुदाय के बड़े नेता बी.एस. येदियुरप्पा को सीएम पद से हटाए जाने के बाद इस समुदाय से आने वाले बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया। अब येदियुरप्पा को केंद्रीय संसदीय बोर्ड में शामिल कर इस समुदाय को नया संदेश दिया गया है।
दक्षिण में भाजपा का दूसरा प्रमुखता वाला राज्य तेलंगाना है। बीते लोकसभा चुनावों में पार्टी ने यहां पर चार लोकसभा सीटें जीती थी व बाद में विधानसभा उपचुनाव में भी जीत हासिल की है। साथ ही ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम में भी बेहतर प्रदर्शन किया था। अब पार्टी ने पिछड़ा वर्ग से आने वाले के. लक्ष्मण को संसदीय बोर्ड में शामिल कर उनका कद बढ़ाया है। लक्ष्मण पार्टी के ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और हाल में पार्टी उनको राज्यसभा में भी यूपी से लाई है। भाजपा ने तेलंगाना में रणनीति में युवा व यूपी में अपनी सफलता को साबित कर चुके सुनील बंसल को मोर्चे पर लगाया है। बंसल के जाने से पार्टी की रणनीति भी मजबूत होगी।
पार्टी हर राज्य में पहुंच बनाने की कोशिश कर रही
भाजपा दक्षिण के अलावा देश के अन्य हिस्सों में आगे बढ़ चुकी है। कुछ राज्यों में तो वह अपने अधिकतम पर है। ऐसे में उसे नया विस्तार दक्षिण में चाहिए। यहां पर वह बीते दो दशकों से कर्नाटक में तो जड़े जमा चुकी है, पर अन्य राज्य उसकी पहुंच से दूर हैं। ऐसे में वह एक एक कर हर राज्य में पहु्चं बनाने की कोशिश कर रही है। आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु व केरल के सामाजिक व राजनीतिक समीकरण अभी भी उसकी रणनीति के अनुकूल नहीं हैं। हालांकि उसने जोड़-तोड़ की राजनीति में केंद्र शासित पुडुचेरी में गठबंधन सरकार बनाने में भी सफलता की है।