October 4, 2024

टू फिंगर टेस्ट नहीं कराने PHQ ने दिए निर्देश

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भोपाल

केंद्रीय गृह मंत्रालय से मुख्य सचिव को भेजे गए एक पत्र के बाद पुलिस मुख्यालय ने प्रदेश में यौन उत्पीड़न के मामलों में टू फिंगर टेस्ट करवाने पर रोक लगा दी है। इस मामले में सभी पुलिस अफसरों को पुलिस मुख्यालय ने निर्देश दिए हैं। अब प्रदेश में बलात्कार या यौन उत्पीड़न के मामलों में यह टेस्ट किया जाएगा तो पुलिस अफसर से लेकर जांच करने वालों पर भी एक्शन लिया जाएगा।

इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक पिछले साल अक्टूबर में एक मामले में निर्देश दिए थे कि यौन हमले और बलात्कार से पीड़ित की जांच करते समय किसी भी तरह से टू फिंगर टेस्ट नहीं किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश के बाद केंद्रीय सरकार ने मुख्य सचिव को हाल ही में एक पत्र लिखा है। जिसमें कहा गया है कि इस मामले में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा तैयार किए दिशा-निर्देशों को सभी सरकारी और निजी अस्तपालों में पालन करवाया जाए। यौन हमले और बलात्कार की पीड़ितकी जांच करते समय अपनाई जाने वाली उचित प्रक्रिया के बारे में बताने के लिए कार्यशाला आयोजित करवाएं।

इस पत्र को राज्य शासन की ओर से पुलिस मुख्यालय भेजा गया। जहां से भोपाल और इंदौर के पुलिस कमिश्नर के साथ ही सभी जिलों के पुलिस अधीक्षक और रेल एसपी को भी इस संबंध में निर्देश दिए गए हैं। उन्हें बताया गया है कि अब टू फिंगर टेस्ट नहीं किया जाएगा। इस संबंध में वे अपने जिले के पर्यवेक्षक अधिकारी, थाना प्रभारी और इस तरह के मामलों की जांच करने वाले सभी सक्ष्म अफसरों को इन निर्देशों से ततकाल अवगत कराएं। टू-फिंगर टेस्ट में उंगलियों से वर्जिनिटी टेस्ट की जाती है। महिला संगठनों ने इसे अपमानजनक बताते हुए इसका विरोध किया था।

प्रदेश में तेजी से अमल
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से ही प्रदेश में टू फिंगर टेस्ट पर सख्ती से रोक लगा दी थी। इस संबंध में केंद्र से पत्र मिलने के बाद मुख्य सचिव ने यह पत्र डीजीपी को भेजा। जहां से 15 मई को पुलिस मुख्यालय ने सभी भोपाल-इंदौर के पुलिस कमिश्नर के साथ ही सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को इस संबंध में केंद्र के पत्र के साथ इसे अमले में लाने के निर्देश दिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने जताई थी नाराजगी
बलात्कार की पुष्टि के लिए पीड़िता का टू फिंगर टेस्ट किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2022 में कड़ी नाराजगी जताई थी।  कोर्ट ने कहा था जो ऐसा करता है, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।  इस तरह का टेस्ट पीड़िता को दोबारा यातना देने जैसा है। 

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