जगदीप धनखड़ की जीत से भाजपा को होगा बहुत फायदा, जाने उपराष्ट्रपति के बारे में…
नई दिल्ली
एनडीए के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ देश के अगले उपराष्ट्रपति होंगे। उन्होंने अपनी प्रतिद्वंद्वी मार्गरेट अल्वा को चुनाव में हरा दिया है। धनखड़ की इस जीत के कई मायने हैं। जानकारों का कहना है कि भाजपा ने जिस उद्देश्य के साथ धनखड़ को उम्मीदवार बनाया था, अब वो काफी हद तक सफल हो सकेगा। धनखड़ काफी जुझारू हैं और जाट समुदाय में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है।
प्रमोद धनखड़ की जीत से भाजपा को होने वाले तीन फायदे
1. जाट समुदाय की नाराजगी दूर होगी
किसान आंदोलन के चलते पंजाब, हरियाणा, पश्चिम उत्तर प्रदेश, राजस्थान में रहने वाले जाट समुदाय के लोग भाजपा सरकार के खिलाफ हो गए थे। अगले साल राजस्थान, मध्य प्रदेश और फिर 2024 में हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र में चुनाव होने हैं। इनमें से राजस्थान, हरियाणा में जाट समुदाय के वोटर्स की अच्छी खासी संख्या है। इसके अलावा दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब में भी जाट वोटर्स की संख्या काफी अधिक है। 2024 लोकसभा चुनाव में अगर ये जाट वोटर्स साथ आ गए तो भाजपा की जीत की राह आसान हो सकती है।
2. किसानों, वकीलों का साथ मिलेगा
धनखड़ किसान परिवार से आते हैं। ऐसे में उनके उपराष्ट्रपति बनने से किसानों में भी भाजपा के प्रति जो नाराजगी है वो दूर हो सकती है। इसके अलावा धनखड़ ने अपने कॅरियर की शुरुआत की वकालत से की है। देशभर में 10 लाख से ज्यादा लोग वकालत के पेशे में हैं। ऐसे में भाजपा को वकीलों का भी साथ मिल सकता है। धनखड़ को जब उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया गया था, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर तमाम भाजपा नेताओं ने उन्हें किसान पुत्र कहकर ही बुलाया था।
3. सत्यपाल मलिक को जवाब मिलेगा
मेघालय के राज्यपाल भी जाट समुदाय से आते हैं। वह केंद्र सरकार के खिलाफ मुखर होकर इन दिनों बोल रहे हैं। भाजपा के कुछ नेताओं का दबी जुबां ये भी आरोप था कि मलिक जाट समुदाय और किसानों को भड़का रहे हैं। ऐसे में धनखड़ के उपराष्ट्रपति बनने से मलिक को भी भाजपा जवाब दे सकती है।
जानें धनखड़ के बारे में
जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझनू जिले के किठाना के किसान परिवार में हुआ था। पिता का नाम गोकल चंद और मां का नाम केसरी देवी है। जगदीप जाट समुदाय से आते हैं। चार भाई-बहनों में वह दूसरे नंबर पर हैं। शुरुआती पढ़ाई गांव किठाना के ही सरकारी माध्यमिक विद्यालय से हुई। गांव से पांचवीं तक की पढ़ाई के बाद उनका दाखिला गरधाना के सरकारी मिडिल स्कूल में हुआ। इसके बाद उन्होंने चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल में भी पढ़ाई की।
12वीं के बाद उन्होंने भौतिकी में स्नातक किया। इसके बाद राजस्थान विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की। 12वीं के बाद धनखड़ का चयन आईआईटी और फिर एनडीए के लिए भी हुआ था, लेकिन नहीं गए। स्नातक के बाद उन्होंने देश की सबसे बड़ी सिविल सर्विसेज परीक्षा भी पास कर ली थी। हालांकि, आईएएस बनने की बजाय उन्होंने वकालत का पेशा चुना। उन्होंने अपनी वकालत की शुरुआत भी राजस्थान हाईकोर्ट से की थी। वे राजस्थान बार काउसिंल के चेयरमैन भी रहे थे।