नई संसद के उद्घाटन पर आएगा भारत का राजदंड, अब तक 8 दलों ने किया किनारा : अमित शाह
नईदिल्ली
गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे. इस मौके पर पीएम मोदी 60 हजार श्रमयोगियों का भी सम्मान करेंगे, जिन्होंने संसद भवन के निर्माण में अपना योगदान दिया है.
अमित शाह ने बताया कि नई संसद के उद्घाटन के मौके पर ऐतिहासिक परंपरा पुनर्जीवित होगी. इसके पीछे युगों से जुड़ी परंपरा है. इसे तमिल में संगोल भी कहा जाता है और उसका अर्थ होता है संपदा से संपन्न. नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर भी रार छिड़ी है। आम आदमी पार्टी, सीपीएम, सीपीआई और टीएमसी ने अब तक उद्घाटन कार्यक्रम के बहिष्कार का ऐलान कर दिया है।
एनसीपी ने भी किया किनारा
एनसीपी ने भी नए संसद भवन की इमारत के उद्घाटन करने का फैसला किया है। एनसीपी प्रवक्ता ने कहा कि दूसरे विपक्षी दलों की तरह वह भी इस कार्यक्रम में शरीक नहीं होगी। 28 मई को पीएम मोदी इस इमारत का उद्घाटन करने वाल हैं।
शिवसेना (यूबीटी) ने भी किया बहिष्कार
शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने कहा है कि सभी विपक्षी दलों ने संसद भवन की इमारत के उद्घाटन कार्यक्रम का बहिष्कार करने का फैसला किया है और उनकी पार्टी भी इस समारोह में नहीं शामिल होगी।
डीएमके के सांसद ने कहा, संसद भवन की नई इमारत के उद्घाटन में नहीं शामिल होगी पार्टी
DMK सांसद तिरुचि शिवा ने कहा कि पार्टी नई संसद भवन की इमारत के उद्घाटन कार्यक्रम का बहिष्कार करेगी। पीएम मोदी इमारत का उद्घाटन करने वाले हैं। वहीं विपक्षी दलों का कहना है कि इसका उद्घाटन राष्ट्रपति से कराया जाना चाहिए।
संसद में स्थापित होगा सेंगोल
अमित शाह ने बताया, सेंगोल को नई संसद में स्थापित किया जाएगा. संसद जिस दिन राष्ट्र को समर्पित होगी, उसी दिन तमिलनाडु से आए विद्वानों द्वारा सेंगोल पीएम को दी जाएगी फिर संसद में ये परमानेंट स्थापित की जाएगी. शाह ने बताया कि सेंगोल इससे पहले इलाहाबाद के संग्रहालय में रखा था.
अमित शाह ने बताया सेंगोल का इतिहास
अमित शाह ने बताया कि आजादी के समय जब पंडित नेहरू से पूछा गया कि सत्ता हस्तांतरण के दौरान क्या आयोजन होना चाहिए? नेहरूजी ने अपने सहयोगियों से चर्चा की. सी गोपालाचारी से पूछा गया. सेंगोल की प्रक्रिया को चिन्हित किया गया. पंडित नेहरू ने पवित्र सेंगोल को तमिलनाडु से मंगवा कर अंग्रेजों से सेंगोल को स्वीकार किया. इसका तात्पर्य था पारंपरिक तरीके से ये सत्ता हमारे पास आई है.
चोला साम्राज्य से जुड़ा है सेंगोल
शाह ने बताया, सेंगोल के इतिहास और डीटेल में जाते हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि सेंगोल जिसको प्राप्त होता है उससे निष्पक्ष और न्यायपूर्ण शासन की उम्मीद की जाती है. यह चोला साम्राज्य से जुड़ा हुआ है. तमिलनाडु के पुजारियों द्वारा इसमें धार्मिक अनुष्ठान किया गया. आजादी के समय जब इसे नेहरू जी को सौंपा गया था, तब मीडिया ने इसे कवरेज दिया था.
गृह मंत्री ने कहा, 1947 के बाद उसे भुला दिया गया. फिर 1971 में तमिल विद्वान ने इसका जिक्र किया और किताब में इसका जिक्र किया.भारत सरकार ने 2021-22 में इसका जिक्र है. 96 साल के तमिल विद्वान जो 1947 में उपस्थित थे वो भी उसी दिन रहेंगे.
अमित शाह ने बताया सेंगोल का इतिहास
14 अगस्त 1947 को एक अनोखी घटना हुई थी। इसके 75 साल बाद आज देश के अधिकांश नागरिकों को जानकारी नहीं है। यह सेंगोल ने एक अहम भूमिका निभाई थी। यह सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था। आप सभी को आश्चर्य होगा कि इतने साल तक यह आपके सामने क्यों नहीं आया। इसकी जानकारी पीएम मोदी को मिली तो गहन जांच करवाई गई। इसके बाद इसे देश के सामने रखने का फैसला किया गया।
क्या होता है सेंगोल?
उन्होंने कहा, इस अवसर पर एक ऐतिहासिक परंपरा पुनर्जीवित होगी। इसके पीछे युगों से जुड़ी परंपरा है। इसे तमिल में सेंगोल कहा जाता है और इसका अर्थ संपदा से संपन्न होता है।