प्रबंधन से वर्षा के पानी को संचय करके भू-जल में की जा सकती है वृद्धि : कलेक्टर एल्मा
बेमेतरा
केंद्रीय भूमि जल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) उत्तर मध्य छत्तीसगढ़ क्षेत्र रायपुर द्वारा जिला पंचायत के सभागार में राष्ट्रीय एक्वीफर मैपिंग और भूजल संरक्षण विषय पर आजादी का अमृत महोत्सव के बैनर तले जन संवाद कार्यक्रम (मिशन एलआईईएफ) का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में राज्य सरकार के भूजल से संबंधित विभिन्न विभागों, किसानों, एनजीओ एवं छात्रों का मिलाकर लगभग 120 प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में आये भूगर्भ जल वैज्ञानिकों द्वारा बेमेतरा जिले के चारों प्रखंडों के समग्र भूजल परिदृश्य की व्याख्या की गई और बताया की जिले में जल का स्तर कितना हैं और कैसे जिले के जल स्तर में वृद्धि करना है इसके उपाय के बारे में बताया।
इस कार्यक्रम हेतु राठी आत्मानंद स्कूल, बेमेतरा में स्कूली छात्रों के बीच भू-जल संरक्षण पर पेंटिंग प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। राष्ट्रीय एक्वीफर मानचित्रण, भू-जल संरक्षण विषय और उपविषय जीवन (पर्यावरण के लिए जीवन) के साथ प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरूआत की गई। प्रतिभागियों ने मुख्य रूप से किसानों और आये हुए समस्त नागरिकों डब्ल्यूआरडी, पीएचईडी, कृषि विभाग के सदस्य, किसान, सरपंच और छात्रों को डॉ. प्रबीर के. नाइक, क्षेत्रीय निदेशक, सीजीडब्ल्यूबी, एनसीसीआर ने बेमेतरा जिले के मिशन लाइफ और नेशनल एक्विफर मैपिंग और भू-जल संरक्षण पर व्याख्यान दिया और स्थानीय भूजल मुद्दों को उठाया जिस पर भूजल विशेषज्ञों द्वारा कार्यक्रम में आये नागरिकों को भूजल संबंधित समस्या और इसके भूजल प्रबंधन के बारे में विस्तार से समझाया। भूजल संबंधित सार्वजनिक जन संवाद कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जिला कलेक्टर श्री पदुम सिंह एल्मा और विशिष्ट अतिथि के रूप में जिला पंचायत सीईओ श्रीमती लीना मंडावी उपस्थित थे।
सुश्री श्वेता मोहंती ने कृत्रिम पुनर्भरण संरचनाओं के साथ-साथ बेमेतरा जिले के हाइड्रोजियोलॉजी और भूजल परिदृश्य की बुनियादी बातों पर चर्चा की। डॉ. अजय सिन्हा ने भू-भौतिकीय तकनीकों के माध्यम से भूजल जांच पर नागरिकों को विस्तार से समझाया और प्रतिभागियों के साथ भूजल की बुनियादी बातों पर एक प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसके बाद मंच पर प्रतिभागियों और सदस्यों के बीच एक इंटरैक्टिव सत्र आयोजित किया गया जहां आये हुए गणमान्य नागरिकों ने अपनी-अपनी बातें रखी।
इस अवसर पर जिलाधीश श्री एल्मा ने कहा कि भूजल के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए जन-जागरूकता लाने के उद्देश्य से भू-जल संवर्धन और संरक्षण हेतु भू-जल संबंधित सार्वजनिक जन संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। भू-जल के लिए लोगों को जागरूक करना जरूरी है। जागरूकता अभियान के दौरान लोगों को इसके लाभ की भी जानकारी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि जनसंख्या के बढ़ते दबाव व पानी की अत्यधिक मांग से जल संसाधनों की सीमित उपलब्धता के परिणाम स्वरुप जलापूर्ति एवं उपलब्ध जल की मात्रा के बीच अन्तर बढ़ता जा रहा है। इसकी पूर्ति के लिए अधिकाधिक जन सहभागिता बढ़ाने के उद्देश्य से भू-जल कार्यक्रम रखा गया है। उन्होने कहा कि प्रकृति से हमें प्रर्याप्त भू-जल का भण्डार प्राप्त है। लेकिन इसका लोग दुरूपयोग कर रहे हैं, बेवजह पानी व्यर्थ बहा रहे हैं और मनमाने ढंग से भू-जल को निकालते एवं खर्च करते हैं। इस विकास के दौर के कारण बड़े- बड़े शहरो में पक्की इमारतें, पक्की सड़कें, पक्के फुटपाथ चबूतरे सीमेंट कंकरीट से बना कर खड़े किए जा रहे हैं, जिससे पूरे जमीन के छिद्र बन्द होते जा रहे हैं।
जिलाधीश ने सर्वप्रथम कार्यक्रम में शामिल सभी नागरिकों कों धन्यवाद दिया और कहा कि वर्तमान मे जनसंख्या बढ?े के कारण भू-जल की मांग बढ़ती जा रही है। जनमानस की आवश्यकता के लिए प्रति वर्ष नवीन नलकूप, हैंडपंप लगा कर पानी खींचा जा रहा है तथा नागरिक विभिन्न उपायों से भू-जल को धरती से निकाल रहे हैं। जिस परिणाम यह है कि भू-जल स्तर में गिरावट हो रही है। लोग लाखों रुपये खर्च करके धरती से पानी का दोहन कर रहे हैं, किन्तु धरती में पानी डालने (रिचार्ज) का कोई भी व्यक्ति प्रयास नहीं कर रहा है। इसलिए हमें यह चाहिए कि वर्षा के पानी को संचय करके कुदरत के भू-जल खाते में कुछ न कुछ शुद्ध पानी अवश्य जमा करें, क्योंकि वर्षा का पानी प्रदूषित नहीं होता है इसलिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग योजना का क्रियान्वयन सभी सरकारी एवं गैर सरकारी इमारतों पर अवश्य बहुत कीमती है। हम सब मिल कर आज भू-जल संवर्धन कार्यक्रम पर अपने आपसे वादा करें कि हम पानी के खर्च में हर मुमकिन कटौती करेंगे। हम पानी की बबार्दी को रोकेंगे और हम अपने छत का पानी जमीन के नीचे भू-जल के खाते में जमा जरूर करेंगे।