विधानसभा अध्यक्ष की हंगामाखेज बैठक के बाद बीजेपी में रसूख का घमासान, खुले बड़ों की रार के रफू और पैबंद
कानपुर
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना की अध्यक्षता में सोमवार को हुई समग्र विकास की हंगामाखेज बैठक ने जहां अफसरों को सन्न कर दिया था, वहीं अब राजनीतिक विवाद भी गहरा रहा है। वार-पलटवार हो रहे हैं। भाजपा के बड़ों की अंदरूनी रार के सारे रफू और पैबंद खुल रहे हैं। बात मुख्यमंत्री, संगठन मंत्री समेत दिल्ली तक पहुंच गई है।
बैठक में महाना के ‘इंजीनियरों को उल्टा लटकाने’, ‘गिरफ्तार कराने’ और ‘बुला कर खड़ा करा लेने’ जैसे सख्त संवादों से अफसरशाही सहमी है। उधर राजनीतिक तरकशों से पैने तीर निकल रहे हैं। दरअसल विस अध्यक्ष महाना की इस बैठक में भाजपा के सभी विधायक और मेयर मौजूद थीं, जबकि दोनों सांसद और सपा के दोनों विधायक नहीं पहुंचे। कहा जा रहा है कि उन्हें बुलाया ही नहीं गया।
सांसद देवेन्द्र सिंह भोले एक ओर बैठक के अधिकार को ही खारिज करते हैं, दूसरी ओर बैठक में न बुलाने की शिकायत भी। उधर महाना कह रहे हैं कि ‘विकास’ केवल मेरा नहीं उनका भी तो एजेंडा है। पिछली बार भी छिड़ा था विवाद पिछले साल 19 नवंबर को भी महाना ने समग्र विकास को लेकर बैठक की थी। तब भोले और पचौरी ने इसे असंवैधानिक करार दिया था। इसकी शिकायत भी सीएम से की थी। कहा गया था कि महाना संवैधानिक पद पर हैं और अपने विधानसभा क्षेत्र को छोड़ दूसरे क्षेत्र की बैठक नहीं कर सकते।
भाजपा में ही ली जा रही चुटकियां भाजपा में ही संगठन और कार्यकर्ता स्तर पर चुटकियां ली जा रही है। एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने कहा-विस अध्यक्ष ने तगड़ी घेराबंदी कर दी है। सपा के दो विधायक और भाजपा के दो सांसद बैठक में नहीं बुलाए गए। यही चारों विरोध कर रहे हैं। जाने-अनजाने भाजपा सांसद सपा विधायकों के साथ एकमत दिख रहे हैं, इसका खराब संदेश जा रहा है। जबकि दूसरे वरिष्ठ नेता ने कहा कि ऐसी बैठकें अफसरों को दबाव में लेने का जरिया बन रही हैं। सांसदों को लगता है कि इससे उनका दबाव कम होगा। अफसर उनकी नहीं सुनेंगे। भाजपा की गुटीय राजनीति से निरपेक्ष लोग मान रहे हैं कि यह पुरानी रार है। मेयर चुनाव और टिकट प्रकरण ने इसे ताजा कर दिया है। बिना बड़ों के हस्तक्षेप के इसके खत्म होने की संभावना बहुत क्षीण है।
जब बैठक ही गलत तो निमंत्रण का इंतजार क्यों महाना
पिछले साल 19 नवंबर को मैंने बैठक की थी। तब सांसदों ने इसे असंवैधानिक बता दिया था। कहा था-मुझे बैठक का अधिकार ही नहीं है। अगर बैठक ही गलत मान रहे हैं तो निमंत्रण का इंतजार क्यों? मैं तो शहर के विकास के लिए काम करता हूं। इसीलिए समग्र ‘विकास’ की बैठक की। किसी को सूचना देने का औचित्य नहीं है। अगर ‘विकास’ कार्यों की समीक्षा की बैठक गलत है, ऐसी गलती होती रहनी चाहिए। वैसे उन्हें भी ‘विकास’ की चिंता है, तो ऐसी बैठकों को गलत क्यों बता रहे हैं।
विस अध्यक्ष महाना पूरे जिले के विकास की बैठक कर ही नहीं सकते। ज्यादा से ज्यादा अपने विस क्षेत्र की बैठक बुला सकते हैं। मुझे न तो उनके कार्यालय से बैठक की सूचना दी गई न किसी अफसर ने जानकारी दी। मैं तो सोमवार को उनके विधानसभा क्षेत्र में ड्योढ़ीघाट गया था। मेरे मन में उनके लिए स्नेह है। छोटा भाई मानता हूं। पिछले साल 11 नवंबर को मैं और पचौरी जी केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के पास थे। महाना ने कार्ड भेजा। मैंने मंत्री से कहा कि तुरंत बुलाइए। वह मेरे संसदीय क्षेत्र के वरिष्ठ विधायक हैं।
मैं गोवा में हूं, मंडलायुक्त से रिपोर्ट मांगूंगा सांसद पचौरी
मैं पिछले चार दिन से गोवा में कमेटी के साथ टूर पर हूं। मंडलायुक्त कार्यालय में समग्र विकास की बैठक की जानकारी लगी है। लौटने पर पूरी रिपोर्ट लूंगा। इसके बाद ही कोई टिप्पणी करूंगा। फिलहाल मुझे इस बाबत कुछ नहीं कहना है।