एक जुलाई से श्रीखंड महादेव की यात्रा शुरू, 32 किलोमीटर का है पैदल सफर
कुल्लू
विश्व की सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में शुमार श्रीखंड महादेव की यात्रा इस बार एक जुलाई से शुरू हो सकती है। बरसात को देखते हुए श्रीखंड यात्रा ट्रस्ट ने यह यात्रा जल्दी कराने का प्रस्ताव तैयार किया है।
बताया जा रहा है कि श्रीखंड यात्रा ट्रस्ट ने इस धार्मिक यात्रा के लिए फिलहाल दो प्रस्ताव तैयार किए हैं। पहले प्रस्ताव में एक से 15 जुलाई तक और दूसरे प्रस्ताव में 5 से 20 जुलाई तक यात्रा करने का जिक्र है, क्योंकि देरी से यात्रा शुरू होने से कई बार बरसात इसमें बाधा उत्पन्न करती है।
भारी बारिश की वजह से कई बार सड़क व रास्ते टूट जाते हैं। जगह-जगह लैंडस्लाइड के कारण श्रद्धालुओं की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है। नदी-नाले उफान पर होते हैं। इससे जान व माल दोनों के नुकसान का हर वक्त अंदेशा बना रहता है। ऐसे में कई बार यात्रा को रोकना भी पड़ता है।
बिना दर्शन के लौट जाते हैं कुछ श्रद्धालु
लिहाजा कई श्रद्धालु बिना दर्शन के ही वापस लौटने को मजबूर होते हैं। इसे देखते हुए ट्रस्ट इस धार्मिक यात्रा को जल्दी शुरू करना चाह रहा है। बीते साल यह यात्रा 11 जुलाई से शुरू की गई थी। 29 मई को होने वाली मीटिंग में यात्रा की फाइनल तारीख तय होगी और इसकी तैयारियों का जायजा लिया जाएगा।
देशभर से श्रीखंड पहुंचते हैं श्रद्धालु
श्रीखंड यात्रा में हिमाचल के अलावा देश के कोने-कोने और नेपाल से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन को पहुंचते हैं। इसलिए जिला प्रशासन और श्रीखंड ट्रस्ट के लिए लोगों के जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित बनाना चुनौती रहेगा। इस यात्रा को सुलभ बनाने के लिए श्रीखंड ट्रस्ट समिति और जिला प्रशासन जगह-जगह बेस कैंप बनाता है। इस दौरान रेस्क्यू के लिए लगभग 130 कर्मचारियों को तैनात किया जाता है।
इस यात्रा के दौरान कई बार होती है ऑक्सीजन की कमी
18,570 फीट ऊंचाई पर श्रीखंड महादेव तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 32 किलोमीटर का पैदल सफर करना पड़ता है। श्रद्धालुओं को संकरे रास्तों में कई बर्फ के ग्लेशियरों को भी पार करना होता है। अधिक ऊंचाई के कारण कई बार यहां ऑक्सीजन का लेवल भी कम हो जाता है। इससे श्रद्धालुओं को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
पार्वती बाग से आगे कुछ ऐसे क्षेत्र पड़ते हैं, जहां कुछ श्रद्धालुओं को ऑक्सीजन की कमी के चलते भारी दिक्कतें पेश आती हैं। यदि ऐसी स्थिति में ऐसे श्रद्धालुओं को समय रहते उपचार या वापस नीचे नहीं उतारा जाता है तो श्रद्धालुओं के लिए खतरा बन जाता है।