लादेन पर ट्रायल नहीं चला, US ने ही ठीक किया; दलील पर चुप ही रहे HC जज
नईदिल्ली
जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के चीफ यासीन मलिक को फांसी दिए जाने की मांग एनआईए ने की है। टेरर फंडिंग में सजा-ए-मौत की मांग लेकर एजेंसी हाई कोर्ट पहुंची थी, जिस पर दिलचस्प बहस हुई। यही नहीं अदालत ने यासीन मलिक का पक्ष जानने के लिए उसे नोटिस जारी किया है। इसके अलावा तिहाड़ जेल प्रशासन से कहा है कि अगली सुनवाई के दौरान उसे अदालत में पेश किया जाए। यासीन मलिक को फांसी दिए जाने की मांग करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ओसामा बिन लादेन का भी जिक्र किया।
सॉलिसिटर जनरल ने यासीन मलिक की लादेन से तुलना करते हुए कहा, 'यदि ओसामा बिन लादेन को भी इस अदालत में लाया जाता तो क्या उसे यही ट्रीटमेंट मिलता।' इस पर केस की सुनवाई कर रही बेंच में शामिल जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल ने कहा, 'दोनों के बीच कोई तुलना नहीं हो सकती क्योंकि लादेन पर किसी भी अदालत में कोई ट्रायल नहीं चला था।' इस पर तुषार मेहता ने कहा कि मेरे खयाल से तो अमेरिका ने सही ही किया। तुषार मेहता की इस टिप्पणी पर जस्टिस मृदुल ने कोई जवाब नहीं दिया।
यासीन मलिक फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद है और उम्रकैद की सजा काट रहा है। 25 मई को ही ट्रायल कोर्ट ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी। उसे देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने का दोषी पाया गया है। ट्रायल कोर्ट के फैसले को ही चुनौती देते हुए एनआईए ने हाई कोर्ट का रुख किया है।एनआईए का पक्ष रख रहे तुषार मेहता ने कहा कि यासीन मलिक ने जो अपराध किया था, वह जघन्यतम की श्रेणी में आता है। एसजी ने कहा, 'यदि इस अपराध को भी जघन्यतम की श्रेणी में नहीं रखा जाएगा तो फिर किसे माना जाएगा? यदि इस मामले में फांसी जैसी सजा नहीं दी गई तो फिर कल को सभी आतंकवादी सामने आएंगे और अपनी गलती मानते हुए क्षमा मांग लेंगे। फिर बच निकलेंगे।'
यासीन ने जिन आतंकियों को छुड़ाया, उन्होंने किया मुंबई अटैक
सॉलिसिटर जनरल ने अदालत से कहा कि यासीन मलिक ने वायुसेना के 4 अफसरों का कत्ल किया था। इसके अलावा तत्कालीन होम मिनिस्टर की बेटी रुबैया सईद को भी अगवा कर लिया था। इसके बदले में उसने कुछ आतंकियों को रिहा करा लिया था। इन्हीं छूटे हुए आतंकवादियों ने बाद में 26/11 आतंकी हमले को अंजाम दिया था।