दोष सिद्ध करार दिए जाने के बाद कोर्ट से उठकर चले कैसे गए मंत्री राकेश सचान?
कानपुर
यूपी के मंत्री राकेश सचान दोष सिद्ध किए जाने के बाद कोर्ट से उठकर चले कैसे गए इस मामले की जांच सोमवार से तेज होगी। मामले में अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। पुलिस का कहना है कि इस मामले में ललिता कुमारी बनाम राज्य केस में दी गई गाइडलाइन के मुताबिक काम किया जा रहा है। इसमें असंज्ञेय अपराध में जांच करने के बाद ही रिपोर्ट दर्ज करने का निर्देश है। पुलिस अफसरों के मुताबिक राकेश सचान मामले की तहरीर में संज्ञेय अपराध नहीं दिख रहा है। लिहाजा जांच होगी और जांच रिपोर्ट अधिकारी कोर्ट में दाखिल करेंगे। उसके बाद कोर्ट के निर्देश के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
संयुक्त पुलिस आयुक्त आनंद प्रकाश तिवारी ने बताया कि ललिता कुमारी बनाम राज्य केस की गाइडलाइन असंज्ञेय अपराध में पुलिस को एक सप्ताह (ज्यादा से ज्यादा) का समय जांच के लिए देती है। पुलिस इस केस में उसी के आधार पर कार्रवाई करेगी। पुलिस को कोर्ट से जो पत्र प्राप्त हुआ है, उसमें प्रत्यक्ष संज्ञेय अपराध नहीं दिख रहा है।
रीडर ने दिया पत्र
शनिवार को एसीएमएम तृतीय की कोर्ट में आर्म्स एक्ट के मुकदमा संख्या 729/1991 थाना नौबस्ता की सुनवाई हो रही थी। इसमें कैबिनेट मंत्री राकेश सचान आरोपित हैं। कोर्ट की रीडर कामिनी द्वारा पुलिस को दिए गए पत्र के अनुसार पत्रावली आदेश हेतु नियत थी, जिसमें पीठासीन अधिकारी ने अभियुक्त राकेश सचान को दोष सिद्ध करार दिया था। सजा के बिन्दु पर सुना गया। उसके बाद पीठासीन अधिकारी आदेश लिखाने हेतु चेम्बर में चले गए। न्यायालय में और भी वादकारी एवं अन्य व्यक्ति थे। दोष सिद्ध करने के बाद अभियुक्त के अधिवक्ता द्वारा निर्णय देखने हेतु पत्रावली ली गई। इसी बीच अभियुक्त राकेश सचान द्वारा निर्णय पत्रावली से लेकर फरार हो गया। अभियुक्त के साथ सुरक्षा कर्मी अन्य समर्थक व 40-50 लोग मौजूद थे।
सीसीटीवी फुटेज से शुरू होगी जांच
संयुक्त आयुक्त ने बताया कि पहले कोर्ट व आसपास से सीसीटीवी फुटेज हासिल करने हैं। इससे पता चलेगा कि घटनाक्रम क्या था और कौन-कौन वहां मौजूद था। पत्र के मुताबिक मंत्री के वकील द्वारा पत्रावली देखने के लिए मांगी गई। उनके वकील कौन था, इसका पता कर उनसे पूछताछ की जाएगी। कोर्ट में रीडर से भी मामले में जानकारी ली जाएगी।
जांच में इन बिंदुओं को किया जाएगा शामिल
- सुनवाई के वक्त मंत्री कोर्ट में मौजूद थे या नहीं
- सुनवाई के दौरान मंत्री कोर्ट के किस हिस्से में मौजूद थे
- कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए सजा सुना दी थी या नहीं
- कोर्ट ने मंत्री को कस्टडी में लेने के आदेश दे दिए थे या नहीं
- मंत्री के साथ 40-50 की भीड़ में कौन लोग शामि-
- घटना के वक्त कोर्ट के अन्य कर्मचारी कहां मौजूद थे
- कोर्ट कर्मचारियों ने मंत्री या वकील को रोकने का प्रयास किया या नहीं
मोहर्रिर ने नहीं सुना कस्टडी में लेने का आदेश
कोर्ट में सजा सुनाने के वक्त कोर्ट अभियुक्त को कस्टडी में लेने का आदेश देता है। उस आदेश का पालन सबसे पहले कोर्ट मुर्हिरर करता है। वह अभियुक्त को कस्टडी में लेता है, उसके बाद पुलिस टीम पहुंचती है। ज्वाइंट सीपी ने बताया कि एसीएमएम तृतीय कोर्ट में तैनात कोर्ट मुर्हिरर से इस मामले में पूछताछ की गई। उसने बताया है कि कस्टडी में लेने का आदेश उसने नहीं सुना है।