September 24, 2024

सामग्री नहीं भाव की पूजा महत्वपूर्ण है : दीदी मंदाकिनी

0

रायपुर

मानस को पढऩा ही नहीं है बल्कि आत्मसात भी करना है। विश्व साहित्य का अद्भूत – अतुलनीय ग्रंथ है रामचरित मानस। कथा सत्संग आत्मनिरीक्षण के लिए हैं। सामग्री नहीं भाव की पूजा महत्वपूर्ण है और यही ईश्वर भी देखते हैं। कीमती सामान के चढ़ावे का अभिमान न करें, क्योंकि प्रभु तो अनुराग से बंधे हुए हैं। एक या आधा घड़ी में राम नाम का जाप कर लिया तो जीवन बदलने के लिए पर्याप्त है। भक्ति के भी कुछ संयम नियम हैं पर यह इतना भी यांत्रिकी न हो जाएं कि व्यक्ति में अभिमान आ जाए।

सिंधु पैलेस शंकरनगर में श्रीराम कथा समापन दिवस पर साधकों को- राम का नाम -प्रसंग पर दीदी मां मंदाकिनी ने बताया कि प्रकृति ही तप्त नहीं हैं बल्कि व्यक्ति भी आज कई प्रकार के ताप से तप्त है,ऐसे में राम कथा में आकर या राम का नाम लेकर शीतलता की प्राप्ति की जा सकती है। यहां तक कि ब्रम्हाजी को भी सृष्टि की रचना के लिए तप करना पड़ा था। एक या आधा घड़ी में राम नाम का जाप कर लिया तो जीवन बदलने के लिए पर्याप्त है। आप जिसकी भी साधना कर रहे हैं या नाम जप रहे हैं यदि उसके साथ राम के नाम का भी जाप कर लिया तो उसका महत्व दस गुना बढ़ जायेगा। आनंद में हो तो,व्यथित हो तो,किसी भी तरह किसी भी परिस्थित में नाम लेना चाहिए। मंत्र जाप दृढ़ विश्वास की भक्ति है।

भक्ति के दो प्रकारों को उद्धृत करते हुए दीदी मां ने कहा कि एक वैधिक भक्ति होती जिसमें शास्त्रों में बतायी गई विधि विधान के अनुसार व्यक्ति पूजा व भक्ति करता है। वैसे तो विधि को व्यवहार में प्रभु ने भी पालन किया है। लेकिन व्यक्ति है कि रोज-रोज की पूजा व भक्ति से उसके जीवन में यांत्रिकता आ जाती है,तब वह पूजा तो करता है लेकिन इसलिए कि केवल करना है तब वह सारा कामकाज निपटा कर पूजा का पालन करता है। यहां व्यक्ति मे अभिमान भी आ जाता है। दूसरी भक्ति रागानुराग है जहां केवल भाव के साथ ह्दय में अनुराग व प्रेम की प्रधानता होती है। अनुराग में सामग्री महत्वपूर्ण नहीं होता और न ही विधि-विधान,इस भक्ति का सबसे बड़ा उदाहरण है शबरी की भक्ति जिसने भगवान को बेर की खटास न लगे इसलिए जूठे बैर खिलाती रही और श्रीराम खाते भी रहे।

जो राम को नहीं जाना वही करता है धर्मान्तरण
आज देश में जाति-धर्म परिवर्तन की बात क्यों आती है, जो लोग भगवान राम की लीला के रहस्य को नहीं जाना है, उनके प्रेम तत्व को नहीं समझा है, जीवन मार्ग पर उनके बताये मर्मज्ञों को नहीं समझा ऐसे ही लोग धर्म परिवर्तन करते हैं।

सवा अरब राम नाम जाप का दिलाया संकल्प
स्वर्गीय रामकिंकर जी महाराज का अगले साल शताब्दी वर्ष पूरे देश भर में रामकिंकर परिवार द्वारा मनाया जा रहा है। दीदी मां मंदाकिनी द्वारा सवा अरब राम नाम जाप साधकों द्वारा पूर्ण करवाये जाने को लेकर संकल्प पत्र भरवाया जा रहा है। यथाशक्ति लोग इसे पूरा करने संकल्प पत्र भर रहे हैं, चूंकि जीवनकाल में रामकिंकर जी महाराज के सर्वाधिक कथा आयोजन का अवसर छत्तीसगढ़ (तब मध्यप्रदेश) को ही मिला और यह परंपरा आज भी निभायी जा रही है। राम नाम जाप का यह संकल्प अयोध्या में श्रीराम जी के चरणों में पहुंचाने का दायित्व पूरा किया जायेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *