गैंगस्टर संजीव जीवा की लखनऊ कोर्ट के बाहर गोली मारकर हत्या
लखनऊ
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात अपराधी संजीव जीवा की लखनऊ सिविल कोर्ट के बाहर हत्या कर दी गई। वो लंबे समय से लखनऊ जेल में ही सिक्योरिटी बैरक में बंद था। घटना कोर्ट हाउस के अंदर हुई, जहां हमलावरों ने गोलियां चलाईं, जिसमें संजीव जीवा की मौत हो गई और एक बच्ची भी घायल हो गई। हमले में एक पुलिस कांस्टेबल भी घायल हो गया और उसे इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल भेजा गया है।
कुख्यात गैंगस्टर संजीव जीवा की बुधवार को लखनऊ कोर्ट के बाहर कुछ अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी। गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी के करीबी सहयोगी संजीव माहेश्वरी जीवा बीजेपी विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या के मामले में सह-आरोपी थे, जिसमें मुख्तार अंसारी भी एक आरोपी है।
जीवा को एक क्रिमिनल केस में सुनवाई के लिए लखनऊ कोर्ट लाया गया था। उन पर कई अन्य आपराधिक मामले दर्ज थे। प्रारंभिक रिपोर्टों से पता चलता है कि शूटर अदालत में वकीलों के रूप में पहुंचे और संजीव जीवा पर गोलियां चलाईं। हमलावर संजीव जीवा एक खूंखार शूटर भी था।
एक कंपाउंडर के रूप में अपनी यात्रा शुरू करने वाले संजीव जीवा ने आखिरकार अंडरवर्ल्ड में कदम रख दिया। उसे मुन्ना बजरंगी का करीबी सहयोगी भी कहा जाता था, जो 2018 में बागपत जेल में सजा काट रहा था।
मुख्तार का शूटर रहा है जीवा
संजीव जीवा पश्चिमी यूपी के मुजफ्फरनगर का रहने वाला था. उसका कनेक्शन मुख्तार अंसारी के साथ है. वह मुख्तार का शूटर रहा है. इसका नाम चर्चित कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी सामने आया था. संजीव इस वक्त यूपी की लखनऊ जेल में बंद था.
90 के दशक में जुर्म से जुड़ा जीवा
संजीव फिलहाल लखनऊ की जेल में बंद था. अपराध की दुनिया में संजीव के कदम रखने की बात की जाए तो उसने सबसे पहले 90 के दशक में अपना वर्चस्व बनाना शुरू किया था. इसके बाद उसने आम लोगों के साथ-साथ पुलिस और प्रशासन में भी अपनी आतंक फैलाना शुरू कर दिया.
फिरौती में मांगे 2 करोड़ रुपए
संजीव अपने जीवन के शुरुआती जीवन में कंपाउंडर था. नौकरी करते वक्त ही उसके मन में अपराध ने जन्म ले लिया और संजीव ने दवाखाना संचालक का ही अपहरण कर लिया. इसके बाद उसके हौसले बुलंद होते गए और 90 के दशक में जीवा ने कोलकाता के एक कारोबारी के बेटे को किडनैप कर लिया. इस वारदात को अंजाम देने के बाद उसने फिरौती के एवज में दो करोड़ रुपए की मांग की. दो करोड़ मांगना उस समय सबसे बड़ी बात हुआ करती थी.
कई गैंग में रहा, फिर बनाई अपनी गैंग
संजीव जीवा ने इसके बाद हरिद्वार के नाजिम गैंग में घुसपैठ की. इसके बाद वह सतेंद्र बरनाला गैंग में शामिल हो गया. हालांकि, अलग-अलग गैंग के लिए काम करने के बाद भी संजीव को सुकून नहीं मिला और उसने अपनी गैंग बनाने का फैसला कर लिया.
कैसे आया मुख्तार अंसारी के संपर्क में?
संजीव जीवा का नाम 10 फरवरी 1997 को हुई बीजेपी नेता ब्रम्ह दत्त द्विवेदी की हत्या में भी सामने आया था. इस हत्याकांड में जीवा को उम्रकैद की सजा हुई थी. इस बड़ी वारदात के बाद वह मुन्ना बजरंगी गैंग में शामिल हो गया था. इस दौरान उसका संपर्क मुख्तार अंसारी से हुआ.