November 28, 2024

महिलाओं के लिए 30% से अधिक आरक्षण की अनुमति नहीं – छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

0

बिलासपुर
 महिलाओं के आरक्षण के संबंध में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. एक महिला अभ्यर्थी की ओर से दाखिल याचिका की सुनवाई के बाद जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की बेंच ने कहा है कि महिलाओं के लिए 30 फीसदी से अधिक आरक्षण की अनुमति नहीं है. हाई कोर्ट ने फैसले में वर्टिकल और होरीजेंटल आरक्षण को नए सिरे से स्पष्ट किया है.

एक महिला अभ्यर्थी ने पीएससी 2014 के लिए जारी मेरिट लिस्ट को चुनौती देते हुए वर्ष 2016 में दाखिल थी. इसके मुताबिक पीएससी ने वर्ष 2014 में राज्य प्रशासनिक सेवा के विभिन्न पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था. इसमें डिप्टी कलेक्टर के 21 पद शामिल थे. 21 पदों में से 9 पद अनारक्षित, 2 पद एससी, 7 पद एसटी और 3 पद ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित थे. इसमें से महिला आरक्षण के तहत 2 पद अनारक्षित महिला और 2 पद एसटी वर्ग की महिला प्रतिभागी के लिए आरक्षित थे.

पीएससी के विज्ञापन के अनुसार ओबीसी महिला के पद आरक्षित नहीं थे. चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद मेरिट में 10वें नंबर पर ओबीसी वर्ग के प्रतिभागी ओंकार यादव का चयन डिप्टी कलेक्टर के पद पर हुआ था. इसे पीएससी की मुख्य परीक्षा में शामिल रही हिमशिखा साहू ने चुनौती दी थी. उनका तर्क था कि ओबीसी महिला के लिए पद आरक्षित होने पर उनका चयन यादव की जगह होना था.

 प्रारंभिक सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता महिला के पक्ष में अंतरिम आदेश दिया था. इस बीच यादव ने जीएसटी डिपार्टमेंट में ज्वाइन कर लिया था. वे वर्तमान में असिस्टेंट कमिश्नर हैं.

जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की बेंच में याचिका की अंतिम सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि महिला मेरिट में 29वें नंबर पर थी, जबकि यादव की तरफ से पैरवी करते हुए एडवोकेट विवेक वर्मा ने बताया कि मेरिट लिस्ट में उनका नाम नहीं था, लिहाजा उन्हें याचिका दाखिल करने का भी अधिकार नहीं था, जबकि पीएससी की तरफ से बताया गया कि नियमों का पालन करते हुए मेरिट लिस्ट जारी की गई थी.

सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने महिला की याचिका खारिज करते हुए उनके पक्ष में जारी अंतरिम आदेश निरस्त कर दिया है. फैसले से वर्तमान में जीएसटी डिपार्टमेंट में असिस्टेंट कमिश्नर के पद पर कार्यरत अधिकारी के जॉइंट कलेक्टर बनने का रास्ता साफ हो गया है. दरअसल हाईकोर्ट ने प्रतिवादी अधिकारी की कोई गलती नहीं होने के कारण सीनियारिटी समेत अन्य लाभ देने के आदेश दिए हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *