November 29, 2024

नई तकनीक से बिजली क्षेत्र में देश को ‘माहिर’ बनाने की तैयारी, योजना में जरूरत के हिसाब से होगा बदलाव

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नई दिल्ली
बिजली क्षेत्र में जिस तरह से तकनीक ने आमूलचूल बदलाव का संकेत दिया है उसकी चुनौतियों से भारत सरकार ने मिशन मोड में निपटने की योजना तैयार की है। इसके लिए मिशन आन एडवांस्ड एंड हाई-इंपैक्ट रिसर्च (माहिर) नाम से एक राष्ट्रीय अभियान की शुरुआत की है। अभियान की शुरुआत बिजली मंत्रालय, नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय और इन दोनों मंत्रालयों के तहत आने वाले सभी सार्वजनिक उपक्रमों की अहम भूमिका होगी। शुरुआत में यह योजना पांच वर्षों यानी वर्ष 2023-24 से वर्ष 2027-28 के लिए होगी लेकिन जरूरत के हिसाब से इसमें आगे विस्तार और बदलाव हो सकेगा।

बिजली मंत्रालय के अनुसार फिलहाल आठ नए तकनीकी क्षेत्रों का चयन किया गया है, जो आने वाले दिनों में सेक्टर पर बहुत ज्यादा असर डालेंगे। इनमें कुछ ऐसे क्षेत्र भी हैं जो सीधे तौर पर आम आदमी के जीवन को प्रभावित करेंगे और पर्यावरण से जुड़ी चुनौतियों का विकल्प भी तैयार करेंगे। इसमें लिथियम आयन स्टोरेज बैट्री का विकल्प तैयार करने जैसे क्षेत्र भी हैं और भारतीय पाक विधि के हिसाब से बिजली चालित कुकर या दूसरे बर्तन तैयार करने की तकनीक भी शामिल है। इसमें ग्रीन हाइड्रोजनन के लिए बहुत ज्यादा क्षमता का ईंधन सेल तैयार करना और इलेक्टि्रक वाहनों के लिए नैनो तकनीक आधारित बैट्री का निर्माण भी शामिल है। यह राष्ट्रीय मिशन ना सिर्फ भारतीय इकोनमी को तकनीक आधारित बनाने में मदद करेगा बल्कि भारत को अत्याधुनिक तकनीक का एक वैश्विक मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाने में भी मदद करेगा।

एक समिति तकनीक की जरूरत का सर्वे करेगी
'माहिर' को लागू करने के लिए दो स्तरीय ढांचे का निर्माण किया गया है। पहले एक टेक्नीकल स्कोपिंग समिति का गठन किया गया है। यह समिति तकनीक की जरूरत का सर्वे करेगी और उसे किस तरह से भारत में विकसित किया जा सकता है, इस पर शोध करेगी। साथ ही नई तकनीक की किस तरह से मार्केटिंग की जा सकती है इसका रोडमैप बनाएगी। इसकी अध्यक्षता केंद्रीय बिजली प्राधिकरण के चेयरमैन करेंगे।
 

प्रस्तावों और कार्यों की निगरानी करेगी दूसरी समिति
एक एपेक्स समिति होगी जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय बिजली मंत्री करेंगे और इसमें कई मंत्रालयों के सचिव, नीति आयोग, सीएसआइआर और तकरीबन 20 सरकारी उपक्रमों के सीएमडी और दूसरे वरिष्ठ अधिकारी होंगे। यह निर्णय करने वाली उच्चस्तरीय समिति होगी जो प्रस्तावों और कार्यों की निगरानी करेगी और यह सुनिश्चित करेगी चयनित तकनीक के विकास को लेकर घरेलू व वैश्विक स्तर पर समझौते हो और उनका पालन हो। बताया गया है कि इसमें भारतीय स्टार्टअप को भी काफी मौका दिया जाएगा।

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