November 16, 2024

यूरोप की मंदी भारत में कारोबार और रोजगार पर डालेगी असर, कानपुर से सहारनपुर तक आएंगे चपेट में

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यूरोप

यूरोपीय जोन में शामिल 20 देशों की अर्थव्यवस्था पर मंदी का संकट मंडराने लगा है। बीते वित्त की चौथी तिमाही में इन देशों की अर्थव्यवस्था में 0.1 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। इसका कारण रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक बैंकिंग संकट रहा। विशेषज्ञों का मानना है कि इसका असर भारत पर भी देखने को मिल सकता है, क्योंकि यहां से कई वस्तुओं का निर्यात किया जाता है। यदि यूरो जोन में मांग घटती है तो देश का निर्यात भी घटेगा। इसके चलते रोजगार सृजन पर भी असर देखने को मिलेगा। आइए जानते हैं कि किन शहरों पर असर पड़ने की आशंका है –

कानपुर – चमड़ा उत्पादों की मांग 25 फीसदी घटी
कानपुर से चमड़ा उत्पाद के निर्यात को झटका लगा है। दो माह में 25 फीसदी निर्यात घटा है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में 7000 करोड़ का चमड़ा निर्यात हुआ। चालू साल के अप्रैल-मई में पिछले साल के अप्रैल-मई की तुलना में करीब 25 फीसदी निर्यात कम हुआ है। काउंसिल फॉर लेदर एक्सपोर्ट के उपाध्यक्ष आरके जालान के अनुसार, गिरावट का मुख्य कारण यूरोप के देशों से मांग कम होना है। कानपुर से इंजीनियरिंग, प्लास्टिक, टेक्सटाइल, डिफेंस, उत्पाद का भी निर्यात होता है। इस पर भी 20 प्रतिशत तक असर पड़ा है।

मेरठ – हैंडलूम और खेल उद्योग पर मार पड़ेगी
मेरठ से हैंडलूम, हैंडीक्राफ्ट और खेल का सामान यूरोप के काफी देशों में निर्यात होता है। यहां मंदी का असर मेरठ के इन उद्योगों पर 25 से 30 फीसदी तक पड़ने की आशंका है। मेरठ में खेल उद्योग का सालाना कारोबार करीब 2000 करोड़ रुपये का है। आईआईए के अध्यक्ष अनुराग अग्रवाल ने बताया कि मेरठ और आसपास के क्षेत्रों में यूरोप के मंदी का असर पड़ना स्वाभाविक है।

सहारनपुर- लकड़ी की नक्काशी के करोबार पर असर
सहारनपुर के वुडकार्विंग (लकड़ी की नक्काशी) के कारोबार पर 25 फीसदी असर पड़ने की आशंका है। सहारनपुर से वुडकार्विंग के सामान का हर साल करीब 1300 करोड़ का निर्यात होता है। इसमें 25 फीसदी सामान यूरोप के देशों में भेजा जाता है। आईआईए के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रामजी सुनेजा ने बताया कि फिलहाल तो सब ठीक चल रहा है। लेकिन यूरोप की मंदी का असर अगले कुछ दिनों में दिखाई दे सकता है।

मुरादाबाद – मंदी का दंश झेलेंगे निर्यातक
मुरादाबाद से हैंडीक्राफ्ट का सालाना कारोबार करीब 9000 से 10,000 करोड़ रुपये के बीच है। इसमें से करीब तीस फीसदी निर्यात अकेले यूरोपीय देशों को होता है। तय है कि इन देशों में मंदी का असर मांग को घटाएगा और इसका खामियाजा मुरादाबाद के निर्यातक उठाएंगे। मुरादाबाद से निर्यात का बड़ा हिस्सा अमेरिका को होता है। वहां पहले से ही मंदी है। मुरादाबाद हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्ट एसोसिएशन के महासचिव अवधेश अग्रवाल का कहना है कि अमेरिका में मंदी के चलते निर्यातक पहले से ही मायूस है और अब यूरोपीय देशों में मंदी उन्हे दोहरी चोट पहुंचाएगी।

आगरा – स्टोन हस्तशिल्प कारोबार में 30 फीसदी की गिरावट
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण यूरोप मंदी की चपेट में आ चुका है। इसका असर आगरा पर भी है। स्टोन हस्तशिल्प में दो हजार करोड़ के आंकड़े तक पहुंच चुके कारोबार में बड़ी गिरावट हो रही है। वर्ष 2019-2020 से तुलना की जाए तो निर्यात में 30 फीसदी की गिरावट आई है। इस साल यह आंकड़ा 1200-1400 करोड़ रुपये रहने की उम्मीद है। साथ ही लेदर फुटवियर पर भी असर है।

झारखंड – पांच से आठ फीसदी घटी मांग
रांची से रिफ्रेक्ट्री, वायर रोप्स, जूट रोप्स, कपड़ा, लाह आदि जर्मनी, फ्रांस, इटली समेत यूरोप के कई देशों में भेजे जाते हैं। मंदी के कारण इन उत्पादों की मांग कम हुई है। स्थानीय उद्यमियों के अनुसार मांग पांच से आठ फीसदी कम हुई है। झारखंड चैंबर की एक्सपोर्ट उपसमिति के चेयरमैन विवेक टिबरेवाल के मुताबिक निर्यात पर सबसे अधिक असर स्टील व लौह अयस्क से जुड़े उत्पादों पर पड़ा है।

 

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