योगिनी एकादशी का व्रत14 जून को रखा जाएगा, 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल की प्राप्ति का है ये व्रत
हिंदू परंपरा में योगिनी एकादशी के व्रत का बहुत बड़ा महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि योगिनी एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी शीघ्र प्रसन्न होकर मनवांछित फल देते हैं। योगिनी एकादशी के दिन पूजा और व्रत करने से घर में सुख, शांति, समृद्धि और खुशहाली आती है। इसके अलावा, इस दिन पूजा और व्रत करने से जीवन में व्याप्त दुख और संकट दूर हो जाते हैं। सनातन शास्त्रों के अनुसार योगिनी एकादशी व्रत करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु की भक्ति-भाव से पूजा करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि 13 जून को सुबह 09 बजकर 28 मिनट पर शुरू होगी और 14 जून को सुबह 08 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी। लेकिन उदया तिथि के अनुसार योगिनी एकादशी का व्रत 14 जून को ही रखा जाएगा। जबकि योगिनी एकादशी व्रत का पारण 15 जून, गुरुवार को किया जाएगा। योगिनी एकादशी व्रत का पारण समय सुबह 05 बजकर 23 मिनट से सुबह 08 बजकर 10 मिनट तक रहेगा।
पूजा विधि
योगिनी एकदशी का व्रत रखने वाले भक्त दशमी तिथि के दिन से ही नियम का पालन शुरू कर दें। दशमी तिथि से ही लहसन, प्याज, मदिरा, मांस समेत तामसिक भोजन का त्याग कर दें। एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले श्री हरी भगवान विष्णु को प्रणाम करें। नित्य कर्मों से निवृत होकर स्नान-ध्यान करें। स्नान के पानी में कुछ बूंदे गंगाजल की डाल दें। इस दिन पीला वस्त्र पहनें और भगवान विष्णु का मंत्रजाप करते हुए अर्घ्य दें।
इस मंत्र का करें जाप
॥ विष्णु शान्ताकारं मंत्र ॥
शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम् ।
लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम् ॥