जनचिकित्सालय में सुविधाओं का टोटा, मरीजों की हो रही फजीहत
गंजबासौदा
शासन और स्वास्थ्य विभाग स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने जिससे लोगों को सहजता और सरलता से स्वास्थ्य सेवाऐं मिल सके, के लिए लाखों रुपए खर्च कर रहा है लेकिन जमीनी स्तर पर इसका ज्यादा लाभ मरीजों को मिलता नहीं दिख रहा। इसकी बानगी नगर के शासकीय सिविल अस्पताल में आसानी से देखी जा सकती है। जहां डॉक्टरों की कमी और जरूरी संसाधनों, मशीनरी के अभाव में मरीजों को दूसरी जगह जाने को मजबूर होना पड़ रहा है।
सिविल अस्पताल में चिकित्सकों सहित स्टॉप के रिक्त पदों, जरूरी संस्थानों और मशीनरी की कमी को लेकर अस्पताल प्रबंधन कई बार शासन प्रशासन को अवगत भी करा चुका है लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। कहने को तो नगर का सिविल अस्पताल 100 बिस्तरीय है जहां वर्तमान में 50 बिस्तरीय व्यवस्थाऐं हैं जिनमें से धरातल पर 25 बिस्तर के स्वास्थ्य केन्द्र के बराबर व्यवस्थाऐं यहां नहीं है। डॉक्टरों की कमी, सोनाग्राफी मशीन और जरूरी संसाधनों की कमी स्वास्थ्य केन्द्र की व्यवस्थाओं की पोल खोल रही है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मरीजों को इलाज मुहैया कराने वाला शासकीय सिविल अस्पताल स्वयं वेंटीलेटर पर है। जबकि इस समय मौसमी बीमारियों का प्रकोप चलने से सिविल अस्पताल में बुखार, सिरदर्द सहित अन्य बीमारियों के मरीज इलाज कराने पहुंच रहे हैं।
डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। वहीं ओपीडी में प्रतिदिन सैकड़ों मरीज अपना पंजीयन करा रहे हैं, ऐसे में स्वीकृत चिकित्सकों के अभाव में कुछ डॉक्टर कैसे इतने मरीजों का इलाज कर रहे हैं यह तो डॉक्टर ही जानें लेकिन सच माना जाये तो मरीजों की संपूर्ण बीमारी का इलाज संभव नहीं हो पा रहा है। उसके चलते आकस्मिक सड़क दुर्घटनाओं के साथ अन्य बीमारियों से पीडित मरीजों को नगर के सिविल अस्पताल में पूरी स्वास्थ्य सुविधाऐं नहीं मिल पा रही और उन्हे मजबूरीवश जिला चिकित्सालय या राज्यकीय चिकित्सालय भोपाल रेफर करना पड़ रहा है।
मौसम के बदले मिजाज से अस्पताल में रोज बढ़ रही मरीजों की संख्या
मौसम के बदले मिजाज से मौसमी बीमारियों के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। कभी बारिश तो आचनक उमस भरी गर्मी से लोगों की सेहत बिगड़ रही है कभी मौसम में ठंडक घुल जाती है। जो सेहत के लिए नुकसानदेह साबित हो रही है। दूषित पानी और खान-पान के कारण भी लोग बीमारियों की चपेट में आ रहे है। राजीव गांधी जन चिकित्सालय की ओपीडी में पेट दर्द, उल्टी दस्त, वायरल बुखार के मरीजों की संख्या जायदा हो गई है। अन्य मौसम की तुलना में पिछले एक सप्ताह से अस्पताल की ओपीडी में रोज चार सौ से पाच सौ से जायदा मरीज बीमारी का इलाज करवाने आ रहे है। भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या भी लगातार बढ़ गई है। अस्पताल में स्टाफ की कमी है। उसी पर डॉक्टरों सहित मेडिकल स्टाफ पर अतिरिक्त मरीजों का बोझ बढ़ गया है।
दूषित पानी से बढ़ रहे हैं पेट से जुड़ी बीमारियों के मरीज
बारिश के मौसम में सरकारी नलों में मटमैला और गंदा पानी आ रहा है इसके उपयोग से पेट से संबंधित बीमारियां बढ़ रही है। अस्पतालों में भी पेट से जुड़ी बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ी है। डॉक्टर मरीजों को सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं, लेकिन लोग खान-पान और शुद्ध पेयजल के मामले में लापरवाही बरत रहे हैं। इसके कारण मौसमी बीमारिया ज्यादा फैल रही है।
बीमार बुजुर्गों और बच्चों की संख्या बढ़ी
राजीव गांधी जनसालय से मिली जानकारी अनुसार को अस्पताल की ओपीडी में चार सौ से पांच सौ मरीज प्रतिदिन आ रहे हैं इनमें बुजुर्ग महिलाओं की संख्या अधिक देखी जा रही है। बताया कि ओपीडी में पेट से संबंधित बीमारियों के मरीजों की संख्या अधिक देखी जा रही है। खान-पान मौसम में नमी होने का कारण भी एलर्जी के मरीज भी बढ़ रहे हैं है।
गलत खानपान से भी बीमार हो रहे हैं
बदलते मौसम के मिजाज के साथ ही लोगों का खान-पान भी बदल रहा है चटपटा मसालेदार चीजें खाने से पेट से संबंधित बीमारियां अधिक देखी जा रही हैं इनमें उल्टी दस्त पेट दर्द की शिकायत के मरीज लगातार अस्पताल में बढ़ रहे। हैं। शासकीय अस्पताल के अलावा बीमार मरीज झोलाछाप डॉक्टरों से भी उपचार करा रहे हैं। वहीं मरीजों की संख्या बढ़ने से मेडिकल स्टोरों पर दवा खरीदने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। इस कारण मेडिकल संचालकों की चांदी हो गई है। आम आदमी की आय का एक हिस्सा दवाओं पर खर्च हो रहा है। जिसके कारण आम आदमी पर खर्च का बोझ बढ़ रहा है।