November 23, 2024

भाजपा बिहार संकट में कर रही इस नेता को मिस, वरना नीतीश कुमार से बन सकती थी बात

0

नई दिल्ली
बिहार की सियासत में एक बार फिर से उथल-पुथल का दौर है और कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार भाजपा को छोड़कर आरजेडी संग सरकार बना सकते हैं। इससे पहले भी वह ऐसा कर चुके हैं, लेकिन यह साथ दो साल से भी कम चल सका था। अब एक बार फिर से नीतीश कुमार की अंतरात्मा जागी है और आज वह राज्यपाल से मुलाकात कर एनडीए छोड़ने का ऐलान कर सकते हैं। यही नहीं लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव भी उनके साथ हो सकते हैं। दोनों नेता 160 विधायकों को साथ लेकर गवर्नर से मुलाकात करेंगे। खबर है कि इस दौरान महागठबंधन की सरकार बनाने का दावा पेश किया जा सकता है, जिसमें कांग्रेस और सीपीआई-एमएल की भी भागीदारी होगी।

भाजपा से इस बार नीतीश कुमार की नाराजगी की वजह अमित शाह के बिहार में ज्यादा दखल को माना जा रहा है। इसके अलावा भाजपा ने जिन नेताओं को डिप्टी सीएम बनाया है या फिर कैबिनेट में रखा है, वह भी नीतीश कुमार की पसंद के नहीं हैं। इसके अलावा आरसीपी सिंह को बिना सलाह के ही मोदी सरकार में मंत्री बनाए जाने से भी वह नाराज थे। ऐसे में भाजपा को दिवंगत नेता अरुण जेटली की याद जरूर आ रही होगी, जिनकी नीतीश कुमार से काफी करीबी थी। कई बार उन्होंने नीतीश कुमार की मदद की थी और दोनों के बीच पार्टी से परे काफी अच्छे संबंध थे।  

नीतीश को पहली बार CM बनाने में भी थी जेटली की भूमिका
कहा जाता है कि एक तरफ अरुण जेटली के निधन और दूसरी तरफ उनके पसंदीदा डिप्टी रहे सुशील मोदी को हटाए जाने से नीतीश कुमार के तार भाजपा से उस तरह नहीं जुड़े रह पाए, जैसे पहले थे। भाजपा और जेडीयू के बीच पहली बार 1996 में गठजोड़ हुआ था। तब जेडीयू को समता पार्टी के नाम से जाना जाता था। लेकिन दोनों दलों की दोस्ती तब मजबूत हुई, जब नवंबर 2005 में दोनों ने साथ चुनाव लड़ा और फिर अरुण जेटली ने हाईकमान को राजी कर लिया कि वह नीतीश कुमार को सीएम बनाने पर सहमत हो जाए। यही नहीं 2013 में जब नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी का नाम पीएम कैंडिडेट के तौर पर घोषित होने के बाद भाजपा से नाता तोड़ा था, तब भी जेटली ने उन्हें समझाने का प्रयास किया था।

2017 में भी जेटली ने ही कराई थी नीतीश की NDA वापसी
लेकिन वह अरुण जेटली ही थे, जिन्होंने 2017 में एक बार फिर से नीतीश कुमार को साथ लाने में अहम रोल अदा किया था। उस वक्त आरजेडी के एक नेता ने कहा था कि अरुण जेटली के साथ एक लॉन्ग ड्राइव के बाद ही नीतीश कुमार ने यह फैसला लिया था। यही नहीं नीतीश कुमार की वापसी के बाद अरुण जेटली ने ही भाजपा लीडरशिप को राजी किया था कि वह सीट बंटवारे में भी जेडीयू को भी बराबर मौका दे।

जब नीतीश बोले- हमारे संबंध पार्टी पॉलिटिक्स से ऊपर थे
अरुण जेटली के निधन के बाद नीतीश कुमार ने उन्हें पहली जयंती पर याद करते हुए अपने निजी संबंधों की याद भी दिलाई थी। नीतीश कुमार ने कहा था, 'हमारे रिश्ते पार्टी और पार्टी आधारित राजनीति से कहीं आगे थे। हम अकसर मिलते थे। मुलाकात के दौरान हम देश के विकास और अन्य मुद्दों पर बात करते थे। उनका बिहार के प्रति एक स्नेह था और उन्होंने हमेशा राज्य के लोगों को सम्मान दिया।' नीतीश कुमार ने अरुण जेटली की याद में पटना में उनकी प्रतिमा भी लगवाई थी। इसके अलावा उनकी जयंती के मौके पर हर साल राजकीय कार्यक्रम का भी ऐलान किया था। साफ है कि दोनों नेताओं की बॉन्डिंग अकसर राजनीतिक रिश्ते भी सहज कर देती थी, जिसकी अब कमी खल रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *