September 30, 2024

ओडिशा ट्रेन हादसा: 12 दिनों के बाद भी नहीं मिला अपनों का शव, DNA टेस्ट की रिपोर्ट का इंतजार

0

भुवनेश्वर

ओडिशा ट्रेन हादसे के बीते 12 दिन हो चुके हैं। आज भी 75 मृतकों के परिजनों को शवों का इंतजार है। बिहार के पूर्णिया जिले के एक दिहाड़ी मजदूर बिजेंद्र ऋषिधर कोरोमंडल एक्सप्रेस हादसे में अपने इकलौते बेटे सूरज कुमार ऋषिधर की मौत के बारे में जानने के बाद ओडिशा पहुंचे। उन्होंने उस लंबे इंतजार की कल्पना नहीं की थी। सूरज काम करने के लिए चेन्नई जा रहा था। वह भी हादसे का शिकार हुआ। लेकिन आज तक पिता को लाश नहीं मिली है।

5 जून को एम्स भुवनेश्वर की मोर्चरी में रखे बॉडी नंबर 159 में मिले मनीपर्स के आधार कार्ड से अपने बेटे की पहचान करने के बाद उन्होंने सोचा कि उन्हें उनके पैतृक गांव में दाह संस्कार के लिए शव को सौंप दिया जाएगा। लेकिन एक हफ्ता से अधिक समय बीच चुका है। ऋषिधर अभी भी शव का इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि उनके और उनके बेटे के डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट का मिलान होना बाकी है।

बिजेंद्र ने कहा, "पहले हमें बताया गया था कि डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट 48 घंटों में आ जाएगी और मैं शव ले जा सकता हूं। फिर इसे 2 दिन और बाद में पांच दिन के लिए बढ़ा दिया गया। अब एक सप्ताह से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन हमें नहीं पता कि कब तक यह मुमकिन हो पाएगा। मैं एक दिहाड़ी मजदूर हूं और ओडिशा जाने के लिए पैसे उधार लिए थे। मैंने पिछले एक सप्ताह में एक भी रुपया नहीं कमाया है।"

पश्चिम बंगाल के मालदा के अशोक रबी दास अपने छोटे भाई कृष्णा रबी दास (20) के क्षत-विक्षत शव को वापस ले जाने के लिए पिछले 9 दिनों से एम्स भुवनेश्वर का चक्कर लगा रहे हैं। कृष्णा यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस से बैंगलोर से घर वापस आ रहे थे। अशोक 4 जून को बेल्ट, जींस पैंट और शर्ट से अपने छोटे भाई की पहचान कर सका था। इसके बावजूद शव नहीं दिया गया और डीएनए सैंपल मैच के लिए खून देने के लिए कहा।

कृष्णा ने कहा, "दुर्घटना के तुरंत बाद कई लोगों को शव मिल गया। मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि अधिकारियों ने मेरे भाई का शव क्यों नहीं सौंपा है। मैंने अपने भाई की पहचान उसके कपड़ों से की थी। मुझे नहीं पता कि डीएनए सैंपल की जांच रिपोर्ट आने में कितना लंबा वक्त लगेगा।"

ट्रेन हादसे में मरने वाले 289 लोगों में से 208 शवों पर मृतक के करीबी लोगों द्वारा दावा किया जा चुका है। एक ही शव पर कई लोगों ने दावा किया है। इसके बाद राज्य सरकार ने डीएनए जांच कराने का फैसला किया। बिहार के बेगूसराय जिले के अजीत कुमार भी अपने छोटे भाई सुजीत कुमार (23) का शव लेने के लिए डीएनए सैंपल टेस्ट का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "एम्स के मुर्दाघर में बॉडी नंबर 27 मेरे भाई का है क्योंकि उस पर महाकाल का टैटू था। मैं अपने भाई को भी पहचान सकता हूं क्योंकि उसके अंगूठे के नाखून लंबे थे। इसके बावजूद में मैं 6 जून से डीएनए सैंपल टेस्ट का इंतजार कर रहा हूं।"

एम्स भुवनेश्वर के प्रोफेसर प्रवेश रंजन त्रिपाठी ने कहा कि मिलान प्रक्रिया बोझिल है। उन्होंने कहा, "हमने परीक्षण के लिए 75 नमूने दिल्ली भेजे हैं। लेकिन उन्हें कम से कम 10-15 दिन लगेंगे। हमें यह भी नहीं पता है कि कितने नमूनो का मिलान होगा। कुछ केस में पिता/माता या भाई-बहनों के बजाय चाचा और भतीजों के नमूने लिए गए हैं।"

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed