November 28, 2024

स्विगी के बीटेक डिलीवरी पार्टनर की पढ़ें कहानी, कैसे सोशल मीडिया ने उसे दिलवाई नौकरी

0

नई दिल्ली  

टेक कंपनी फ्लैश में मार्केटिंग मैनेजर प्रियांशी चंदेल ने लिंक्डइन पर एक स्विगी डिलीवरी पार्टनर की कहानी साझा की, जो एक बीटेक है, जो स्विगी पर ऑर्डर किए गए अपने भोजन को डिलीवर करने के लिए तीन किलोमीटर पैदल चली। जम्मू के एक टूटे और भूखे स्विगी डिलीवरी पार्टनर साहिल सिंह की है यह कहानी। बता दें स्विगी (Swiggy) डिलीवरी पार्टनर्स हमारे जीवन का रोज का हिस्सा बन गए हैं। हालांकि, अक्सर उन्हीं लोगों की दुर्दशा याद आती है जो बारिश हो या धूप, हमारा भोजन पहुंचाते हैं। कोविड में लॉकडाउन के दौरान कई लोगों ने अपनी नौकरी खो दी। इनमें से कुछ लोगों ने फूड डिलीवरी एग्रीगेटर के डिलीवरी पार्टनर के रूप में काम किया। कुछ इससे बाहर निकल गए, कुछ गिग के काम में फंस गए, क्योंकि महामारी से उभरती भारतीय अर्थव्यवस्था में नौकरी और रोजगार अभी भी एक दूर का सपना था।

अपने लिंक्डइन पोस्ट में चंदेल ने लिखा कि उन्होंने एक स्विगी ऑर्डर दिया था, जो उनके पास 30-40 मिनट देरी से पहुंचा। दरवाजा खोलने पर उसे 'मेरे फ्लैट के बाहर सीढ़ी पर बैठा युवक हांफता हुआ मिला। उसने उससे देरी का कारण पूछा। चंदेल ने आगे की बातचीत को शब्दशः सुनाया। साहिल सिंह ने ग्राहक को अपनी आपबीती सुनाई और कहा कि वह उसके फ्लैट तक पहुंचने के लिए 3 किमी पैदल चला, क्योंकि उसके पास पैसे या वाहन नहीं थे। साहिल ने बताया कि उनके पास इलेक्ट्रिकल एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग की डिग्री है और वह पहले बायजूज और निंजाकार्ट के साथ काम कर चुके हैं। हालांकि, महामारी के दौरान अपनी नौकरी गंवाने के बाद जम्मू में वह अपने घर वापस चला गया।

स्विगी डिलीवरी पार्टनर 30 वर्षीय साहिल ने चंदेल से कहा, 'मैडम, मेरे पास ट्रेवेल करने के लिए स्कूटी या कोई साधन नहीं था। मैं आपके ऑर्डर के साथ 3 किलो मीटर पैदल चला। मेरे पास पैसे नहीं हैं और यह मेरे फ्लैटमेट की वजह से है,  जिसने मेरे बचे-खुचे पैसे भी ले लिया, जिसके साथ मैं अपने यूलू को चार्ज करता हूं और मुझे 235 रुपये कर्ज में डाल दिया है। मेरे मकान मालिक को पेमेंट करने के लिए मेरे पास कुछ भी नहीं बचा है। आप सोच सकते हैं कि मैं सिर्फ झांसा दे रहा हूं, लेकिन मैं पूरी तरह से शिक्षित ईसीई ग्रेड हूं, मैं कोविड के दौरान अपने घर जम्मू जाने से पहले निंजाकार्ट, बायजू में काम करता था। इस ऑर्डर की डिलीवरी के लिए भी मुझे केवल 20-25 रुपये मिलेंगे और मुझे 12 से पहले दूसरी डिलीवरी लेनी होगी, वरना वे मुझे कहीं दूर डिलीवरी के लिए भेज देंगे और मेरे पास बाइक नहीं है।"

एक हफ्ते से नहीं खाया खाना
साहिल बोला, " मैंने एक हफ्ते से खाना नहीं खाया है, सिर्फ पानी और चाय पी रहा हूं। मैं कुछ नहीं मांग रहा हूं, प्लीज अगर आप मुझे कोई काम दिला दें। मैं पहले 25 हजार कमाता था, मेरी उम्र 30 साल है, मेरे माता-पिता बूढ़े हो रहे हैं और मैं उनसे पैसे नहीं मांग सकता।''

लिंक्डइन पर पोस्ट और मिलने लगी मदद
चंदेल ने लिंक्डइन पर पोस्ट की और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के यूजर्स से उसे नौकरी खोजने में मदद करने के लिए कहा और अपने ईमेल पते, मार्कशीट, प्रमाण पत्र और दस्तावेजों की तस्वीरें अपलोड कीं। उसने इंटरनेट उपयोगकर्ताओं से अपील की, "अगर किसी के पास ऑफिस बॉय, एडमिन वर्क, कस्टमर सपोर्ट आदि के लिए कोई अवसर है तो कृपया किसी साथी की मदद करें!"

कई यूजर्स ने आगे बढ़कर उसकी मदद की। जहां कुछ ने अपनी YULU बाइक को रिचार्ज करवाया, वहीं अन्य ने उनके यहां खाना पहुंचाया। छह दिन बाद चंदेल ने एक अपडेट में बताया कि डिलीवरी मैन को नौकरी मिल गई है। "उसे नौकरी मिल गई !!! आगे आने वाले सभी लोगों का धन्यवाद, आप सभी कमाल के हैं।"

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *