सांप-छुछुंदर की स्थिति में पाक, IMF ने फंड न दिया तो क्या होंगे हालात?
नई दिल्ली
जर्जर आर्थिक हालात से गुजर रहे पड़ोसी देश पाकिस्तान ने हाल ही में अपना बजट पेश किया है। चुनावी साल होने की वजह से शहबाज शरीफ सरकार ने लोगों को लॉली पॉप थमाने के वास्ते सरकारी कर्मियों की सैलरी में 35 फीसदी के इजाफे का ऐलान किया है लेकिन अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने 2023-24 के लिए पाकिस्तान के बजट पर गंभीर आपत्ति जताई है। इसके साथ ही IMF ने उस संभावना को भी कमजोर कर दिया है कि वह पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज देगा।
IMF के पास उस ऋण कार्यक्रम को पुनर्जीवित करने की मियाद सिर्फ 30 जून तक यानी दो हफ्ते ही बची है। माना जा रहा है कि IMF के फंड देने से नकदी-संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को अपने अंतरराष्ट्रीय ऋण दायित्वों को पूरा करने में मदद मिलेगी और वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डिफॉल्टर होने से बच सकेगा लेकिन IMF से उसे राहत मिलने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे।
IMF पिछले साल से ही पाकिस्तान को 6.7 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज के आखिरी किश्त के तौर पर 1.2 अरब डॉलर का भुगतान करने के लिए शर्तें थोपता रहा है और पाकिस्तान उसे लागू करता रहा है। बावजूद इसके पाकिस्तान को सफलता नहीं मिल सकी है। एक तरफ पाकिस्तान की शरीफ सरकार चाहकर भी चुनावी मौसम में लोगों को लोकलुभावन बजट नहीं दे पाई, दूसरी तरफ कठोर शर्तों के बाद भी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने फंड जारी करने के कोई सिग्नल नहीं दिए हैं।
हालांकि, शरीफ सरकार ने अभी भी उम्मीद नहीं छोड़ी है और आखिरी प्रयास के तौर पर वित्त मंत्री इशाक डार ने आईएमएफ कार्यक्रम को सुरक्षित करने के लिए मंगलवार को आईएमएफ मिशन प्रमुख नाथन पोर्टर के साथ वर्चुअल मीटिंग की। ये बैठक भी बेनतीजा रही। जूनियर वित्त मंत्री आयशा गौस पाशा ने कहा कि आईएमएफ 2023-24 के बजटीय ढांचे से संतुष्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि IMF की चिंताओं को दूर करने के लिए अब एक और दौर की बैठक होगी।
जानकार बता रहे हैं कि अगर आईएमएफ ने पाकिस्तान को फंड नहीं दिया तो पाकिस्तान पर विदेशी ऋणों को चुकाने का दबाव बढ़ जाएगा और इससे उसका विदेशी मुद्रा भंडार गंभीर रूप से कम होकर 3 अरब डॉलर से नीचे आ सकता है। पाकिस्तान को एक अरब डॉलर का कर्ज चीन को चुकाना है, जिसका मैच्युरिटी टर्म पूरा हो चुका है।
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार मुश्किल से तीन सप्ताह का आयात करने भर बचा है। इस बीच, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये पर दबाव बढ़ता जा रहा है। बुधवार (14 जून) को इंटरबैंक बाजार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी करंसी 287 रुपये पर कारोबार कर रहा था।
मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने बुधवार को चेतावनी दी कि पाकिस्तान को आईएमएफ का बेलआउट पैकेज मिलने की संभावना कमजोर पड़ गई है। इसकी वजह से देश एक संप्रभु डिफ़ॉल्ट के करीब पहुंच सकता है। सिंगापुर में रेटिंग कंपनी के सॉवरेन एनालिस्ट ग्रेस लिम ने कहा, "ऐसे जोखिम बढ़ रहे हैं कि पाकिस्तान 30 जून को समाप्त हो रहे आईएमएफ कार्यक्रम को पूरा करने में असमर्थ हो सकता है।"
ब्लूमबर्ग ने भी कहा है, "आईएमएफ कार्यक्रम के बिना, पाकिस्तान इंटरनेशनल डिफॉल्टर हो सकता है,क्योंकि उसके पास विदेशी मुद्रा भंडार बहुत कम बचा है।" बता दें कि 1 जुलाई से शुरू हो रहे नए वित्त वर्ष में पाकिस्तान पर करीब 23 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज को चुकाने का बोझ है। यह उसके विदेशी मुद्रा भंडार से पांच गुना से भी ज्यादा है। अधिकांश कर्ज पाकिस्तान ने रियायती बहुपक्षीय और द्विपक्षीय स्रोतों से ली है। इसमें चीन का बड़ा हिस्सा है।