September 30, 2024

केरल के शख्स को ब्रेन डेड बताया, अंगों को मलेशिया के नागरिक में कर दिया प्रत्यारोपण; 8 डॉक्टरों के खिलाफ केस

0

तिरुवनंतपुरम
कोच्चि स्थित वीपीएस लेकशोर अस्पताल और उसके सात डॉक्टरों पर केरल के ब्रेन डेड व्यक्ति का अंग निकालने का आरोप लगा है। दर्ज मामला के मुताबिक, लिवर मलेशिया के अक व्यक्ति के शरीर में प्रत्यारोपित करना था। मलेशियाई नागरिक की पत्नी को कथित तौर पर दाता के रूप में दिखाया गया था। एर्नाकुलम में न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) की अदालत ने कोल्लम के डॉ. एस गणपति की एक याचिका पर कार्रवाई करते हुए कहा कि अस्पताल और डॉक्टरों के खिलाफ मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम के तहत मामला दर्ज करने का पर्याप्त आधार है। सात डॉक्टरों के अलावा अस्पताल के एक अन्य डॉक्टर को भी आरोपी के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। कोर्ट ने 29 मई को को समन जारी किया था।

यह घटना 2009 में हुई थी। 21 वर्षीय अबिन वीजे के अंगों का प्रत्यारोपण किया गया था। एक दुर्घटना का शिकार हो गया था। कथित तौर पर उसे मार बेसेलियोस अस्पताल में उचित उपचार से वंचित कर दिया गया था। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि घंटों बाद उनके परिवार को विश्वास दिलाया गया कि वह ब्रेन डेड है। इसके बाद उनके महत्वपूर्ण अंगों को दान करने के लिए प्रेरित किया गया।

शिकायत में यह भी कहा गया है कि अस्पताल ने कानून का उल्लंघन करते हुए एक विदेशी नागरिक को उसके अंगों का प्रत्यारोपण किया। नियम के मुताबिक, अंगों का प्रत्यारोपण सिर्फ राज्य सूची, क्षेत्रीय सूची, राष्ट्रीय सूची, भारतीय मूल के व्यक्ति को किया जा सकता है। विदेशी व्यक्ति का नाम सबसे अंत में आता है। अदालत ने दो सरकारी डॉक्टरों फोरेंसिक सर्जन पी एस संजय और गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज तिरुवनंतपुरम में न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख थॉमस इयपे से भी पूछताछ की। पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर संजय ने कपाल गुहा में खून नहीं निकलने पर संदेह जताया। अदालत ने कहा कि डॉ. आईपे ने कहा कि खून निकालने से मरीज की जान बचाई जा सकती थी।

लेकशोर अस्पताल ने कहा कि गलत ब्रेन-डेड सर्टिफिकेट जारी करने के आरोप तथ्यों पर खरे नहीं उतरते हैं। अस्पताल ने कहा, ''भले ही 1998 में केरल सरकार द्वारा मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम को अपनाया गया था, लेकिन इस पर कुछ भी रचनात्मक नहीं किया गया है। सोसाइटी फॉर ऑर्गन रिट्रीवल एंड ट्रांसप्लांटेशन उस समय कैडेवर दान को बढ़ावा देने वाली केरल में एकमात्र पंजीकृत संस्था थी। केरल नेटवर्क फॉर ऑर्गन शेयरिंग 2012 में गठित किया गया था। अस्पताल ने SORT की मदद मांगी थी। सलाह के अनुसार आगे बढ़ा।'' अस्पताल ने जांच में सहयोग की बात कही है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed