September 28, 2024

नीतीश विपक्ष की बैठक में बन सकते हैं संयोजक, गठबंधन का नाम यूपीए रहेगा या कुछ और?

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लोकसभा चुनाव 2024 में विपक्षी गठबंधन को लेकर 23 जून को पटना में महाजुटान होने जा रहा है। इस बैठक में देशभर से करीब 18 पार्टियों के नेताओं के शामिल होने की संभावना है। पटना में शुक्रवार को होने वाली विपक्ष की बैठक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को गठबंधन का संयोजक बनाए जाने पर चर्चा हो सकती है। विपक्षी एकता की मुहिम सीएम नीतीश ने ही शुरू की थी। वे अलग-अलग पार्टियों के प्रमुखों से जाकर जाकर मिले और उन्हें बैठक में आने पर अपील की। विपक्षी बैठक में बीजेपी के खिलाफ संभावित गठबंधन के स्वरूप और नाम पर भी चर्चा हो सकती है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए 'एक के खिलाफ एक' का फॉर्मूला दे चुके हैं। यानी कि 450 से ज्यादा लोकसभा सीटों पर अगर बीजेपी और विपक्षी उम्मीदवार की सीधे टक्कर हो, तो जीत आसान हो सकती है। एक सीट पर बीजेपी या एनडीए के प्रत्याशी के विरोध में विपक्ष का एक ही उम्मीदवार हो, जिस पर अन्य सभी विपक्षी दल सहमति दें। नीतीश के इस फॉर्मूले पर भी विपक्षी बैठक में चर्चा की संभावना है।

नीतीश बनेंगे संयोजक?
सूत्रों के मुताबिक नीतीश कुमार को 2024 चुनाव के लिए बनने वाले नए गठबंधन का संयोजक बनाया जा सकता है। इसके कयास लंबे समय से लगाए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार जब कांग्रेस नैत्री सोनिया गांधी से दिल्ली में मिले थे, तब भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी। विपक्षी एकता की मुहिम नीतीश ने ही शुरू की थी और पिछले करीब 10 महीने से वे इस पर लगे हुए हैं। नीतीश अगर संयोजक बनते हैं तो उनके पीएम कैंडिडेट बनने की राह भी आसान हो सकती है। हालांकि, विपक्ष का प्रधानमंत्री उम्मीदवार कौन होगा, इसकी चर्चा 23 जून की बैठक में होने की संभावना नहीं है।

गठबंधन का नाम यूपीए होगा या कुछ और?
लोकसभा चुनाव के लिए जो विपक्षी मोर्चा बनेगा, उसके नामकरण पर भी पटना की बैठक में चर्चा हो सकती है। विपक्षी नेता शुक्रवार को पहली बार मिलने वाले हैं। ऐसे में गठबंधन के स्वरूप और नाम पर चर्चा होने की पूरी संभावना है। कांग्रेस इसका नाम यूपीए ही रहने पर जोर दे सकती है। हालांकि, कुछ दलों के नेता इस पर असहमति जता सकते हैं। इसलिए बिहार में सात दलों के महागठबंधन की तर्ज पर नए मोर्चे का नाम राष्ट्रीय महागठबंधन या ऐसा ही कुछ रखा जा सकता है। इस पर फैसला मोर्चेबंदी में शामिल नेता ही करेंगे।

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