हरियाणा में बीजेपी और जेजेपी की दोस्ती टूटने की क्यों लग रहे कयास , जानें 5 कारण
चंडीगढ़
लोकसभा चुनावों से पहले क्या हरियाणा में बीजेपी और जेजेपी का गठबंधन टूट जाएगा? हरियाणा की राजनीति में इन दिनों से यह सवाल सबसे ज्यादा चर्चा में हैं। इसके पीछे की वजह है बीजेपी और जेजेपी की हलिया सक्रियता। बीजेपी को देखें तो पार्टी ने दिल्ली के निकटवर्ती राज्य पर एकाएक फोकस बढ़ा दिया है। बीजेपी कोर ग्रुप की मीटिंग भी हो रही है।तो वहीं दूसरी तरफ गृह मंत्री अमित शाह के दौरे के बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी दौरा कर चुके हैं और अब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी 29 जून को हरियाणा में रैली करेंगे।
रक्षा मंत्री की रैली पहले अंबाला में होनी थी, लेकिन अब यह रैली यमुनानगर के जगाधरी में होगी। विधानसभा चुनावों के बाद प्रदेश में बीजेपी और जेजेपी करीब आए थे, लेकिन अब राज्य में जो स्थिति बन रही है उसके हिसाब से गठबंधन टूटने की प्रबल संभावनाएं देखी जा रही है। इसके पीछे पांच बड़े कारण हैं?
1. लोकसभा सीटों का पेंच
2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने प्रदेश की सभी 10 लोकसभा सीटें जीती थीं। हरियाणा के इतिहास में ऐसा लंबे समय बाद हुआ था जब किसी एक पार्टी के खाते में सभी सीटें गई थी। बीजेपी के साथ सरकार में साझीदार जेजेपी के पास अभी कोई सीट नहीं है। पूर्व में मौजूदा उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला खुद हिसार से सांसद रह चुके हैं। ऐसे में यह संभव नहीं है कि पार्टी लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेगी। ऐसे में बीजेपी अपनी खुद की सीटें क्यों जेजेपी को देना चाहेगी? यह एक बड़ा पेंच बनकर सामने आ रहा है।
2. मनोहर सरकार को नहीं खतरा
अगर बीजेपी सरकार से जेजेपी अलग होती है तो मनोहर लाल सरकार को राज्य में कोई खतरा नहीं है। निर्दलियों के सहयोग से सरकार चलती रहेगी। ऐसे में बीजेपी काफी सेफ जोन में है। उसकी सरकार को कोई खतरा नहीं है। पूर्व में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खुद कह चुके हैं कि बीजेपी की सरकार है। इसके बाद राज्य में प्रभारी बिप्लव देव ने भी कहा था कि मुफ्त में समर्थन नहीं दिया हुआ है हमने मंत्री पद दिए हुए हैं।
3. सीटें दीं तो और बढ़ेगी निर्भरता
2024 के चुनाव में अगर बीजेपी 10 में से एक या दो सीटें जेजेपी को देती है। तो इससे पार्टी की जेजेपी पर निर्भरता बढ़ेगी। जेजेपी जिस तरह से राज्य में संगठन का विस्तार कर रही है। उससे इस बात की संभावना शून्य है कि पार्टी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेगी। ऐसे में बीजेपी अपनी खुद की 10 सीटों में से जेजेपी को देगी। इसकी संभावना बेहद कम है।
4. सिरसा रैली के बाद बढ़ी सरगर्मी
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की सिरसा की रैली के बाद राजनीतिक सरगर्मी बढ़ी है। पार्टी राज्य की 10 में से आठ सीटों पर मजबूत है। उसे सिरसा और राेहतक में चुनौती महसूस हो रही है। सिरसा से सुनीता दुग्गल सांसद हैं जबकि रोहतक से डॉ. अरविंद शर्मा सांसद हैं। इसके पीछे के कई कारण हैं। यही वजह है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह विशेष तौर पर रनियां से विधायक और बिजली मंत्री रंजीत चौटाला के घर भी गए थे। यह फोटो खूब चर्चा में है। पार्टी निर्दलियों के साथ रंजीत चौटाला को साथ रखना चाहती है।
5. दोनों की अलग-अलग तैयारी
बीजेपी और जेजेपी राज्य में लोकसभा चुनावों के लेकर अलग-अलग तैयारी कर रहे हैं। इसे भी दोनों पार्टियों के गठबंधन नहीं रहने की स्थिति से जोड़कर देखा जा रहा है। राज्य के प्रभारी बिप्लव देव गुरुग्राम के पटौदी में लोकसभा स्तर की रैली करने वाले हैं। तो वहीं बीजेपी भी इस मोर्चे पर सक्रिय है। इसी रणनीति के तहत अब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह यमुनानगर में कार्यक्रम करने वाले हैं। शाह के सिरसा दौरे के बाद उच्च स्तर पर कई बैठकें हो चुकी हैं। इसके भी निहितार्थ निकाले जा रहे हैं कि बीजेपी हरियाणा को लेकर बड़े फैसले के मूड में है।