नर्मदा जल भरकर 15 किलोमीटर दूर कुकर्रामठ पहुंचे कावड़िए
सावन के अंतिम सोमवार को भक्ति में डूबे श्रद्धालु निकली कांवड़ यात्रा
डिंडोरी
प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी भोले के भक्तो ने सावन के अंतिम सोमवार को नर्मदा जल लेकर कांवड़ियों ने नगर से कुकर्रामठ तक यात्रा निकाली। कावड़ यात्रा में 4 साल के नन्हे कांवड़िया आकर्षण का केंद्र रहे। यात्रा में छोटी छोटी बच्चियों से लेकर युवा और वृद्ध महिला श्रद्धालु भी शामिल रहीं।
श्रीऋणमुक्तेश्वर कांवड़ यात्रा समिति की अगुवाई में कांवड़ यात्रा का शुभारंभ डिंडौरी स्थित मां नर्मदा तट माणिया घाट से हुआ। यात्रा नगर से होते हुए कुकर्रामठ पहुची जहां श्रीऋणमुक्तेश्वर महादेव मंदिर परिसर पर समाप्त हुई। मंदिर में कांवड़ियों ने भगवान शिव का जलाभिषेक कर पुण्यार्जन किया। कांवड़ यात्रा का जगह जगह श्रद्धालुओं ने स्वागत किया। शिशु मंदिर के सामने कावड़ियों पर पुष्प वर्षा की गई। इसके अलावा नगर से 15 किलोमीटर की इस कावड़ यात्रा में मुख्य मार्ग पर जगह जगह कावड़ियों को चाय फल की व्यवस्था की गई थी। घानाघाट स्थित मिष्टी ढाबा पर ढाबा संचालक आशीष श्रीवात्री ने कावड़ियों को चाय पिलाकर पुण्यलाभ लिया।
यात्रा के दौरान समिति के सक्रिय सदस्य रवि राज बिलैया, दुर्गेश बर्मन, हरिराज बिलैया, राम वैश्य, रामु चंदेल सहित दर्जनों श्रद्धालु शामिल थे।
शिव भक्ति में चमकते रहे बच्चों के चेहरे
कांवड़ यात्रा के दौरान डिंडौरी निवासी 5 वर्षीय चिराग बर्मन सहित छोटी छोटी बालिकाएं आकर्षण का केंद्र रहीं। बच्चे नगर के डेम घाट से मां नर्मदा का जल लेकर 15 किलोमीटर दूर कुकर्रामठ मंदिर पहुंचे। लेकिन इतनी दूरी होने के बाद भी बच्चों का चेहरा शिव भक्ति से चमकता रहा।
2009 में पहली बार निकली थी कावड़ यात्रा
समिति के सक्रिय सदस्य रविराज बिलैया ने बताया कि साल 2009 में पहली बार डिंडौरी में समिति ने ही कांवड़ यात्रा की शुरुआत की थी। इससे पूर्व जिले में कांवड़ यात्रा नहीं निकलती थी। तब बमुश्किल सावन के पहले सोमवार को ही गिने-चुने लोग यात्रा निकालते थे, लेकिन जबसे समिति ने यात्रा की पहल की, तब से हज़ारों की संख्या में कांवडियों का क्रम प्रारंभ हो गया।