खाने के बिल पर जरूरी नहीं GST चुकाना, कहां देना है टैक्स, कहां नहीं, चुटकियों में लगाएं पता
नई दिल्ली.
जब भी आप रेस्टोरेंट में कुछ खाते हैं तो खाने की कीमत के साथ बिल पर GST जुड़कर आता है. आप भी रेस्टोरेंट द्वारा लगाई जीएसटी को हंसी-खुशी यह सोचकर चुका देते हैं कि यह तो सरकार ने सभी के लिए अनिवार्य कर दी है, तो इसे देना आपका फर्ज है. लेकिन, आपको जानकार हैरानी होगी कि हर रेस्टोरेंट आपसे खाने के बिल पर जीएसटी नहीं वसूल सकता. न ही आपको जीएसटी के रूप में अतिरिक्त पैसे देने की जरूरत होती है. उन्हें ऐसा करने की जरूरत इसलिए नहीं होती क्योंकि वे सरकार की खास स्कीम में इनरोल्ड होते हैं.
यह स्कीम है, जीएसटी कॉम्पोजिशन स्कीम (GST Composition Scheme). इस स्कीम में शामिल व्यापारियों को केवल अपने वार्षिक टर्नओवर पर जीएसटी का भुगतान करना होता है. जीएसटी की यह दर सामान्य दर से कम होती है. 1.5 करोड़ रुपये से कम टर्नओवर वाला एक छोटा व्यवसायी इस योजना का लाभ ले सकता है.
बिल देने से पहले जरूर चेक करें
जो रेस्टोरेंट्स सरकार की जीएसटी कॉम्पोजिशन स्कीम (GST Composition Scheme) का लाभ ले रहे हैं, वे ग्राहक से रेस्टोरेंट में बने खाने के बिल पर जीएसटी नहीं वसूल सकते. इसलिए जब भी रेस्टोरेंट का बिल चुकाएं तो एक बार यह जरूर चेक कर लें कि कहीं रेस्टोरेंट कॉम्पोजिशन स्कीम लेने के बाद भी तो आपसे अवैध रूप से जीएसटी तो नहीं वसूल रहा.
कैसे लगाएं पता
आप जिस रेस्टोरेंट में खाना खाएं, उसके बिल को जरूर गौर से देखें. जो भी जीएसटी कॉम्पोजिशन स्कीम का लाभ लेता है उसे अपने प्रतिष्ठान के बिल पर अनिवार्य रूप से “composition taxable person, not eligible to collect tax on supplies” लिखना होता है. अगर बिल पर यह अंकित है तो वह आपके बिल में जीएसटी चार्ज नहीं जोड़ सकता. आप खाने के बिल पर लगाया गया जीएसटी चार्ज देने से मना कर सकते हैं. आप जीएसटी पोर्टल (GST Portal) के जरिए भी यह पता लगा सकते हैं कि आपने जिस रेस्टोरेंट में खाना खाया है, उसने जीएसटी कॉम्पोजिट स्कीम का लाभ उठाया है या नहीं. पोर्टल पर चेक करना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि बहुत से व्यापारी ग्राहकों से ज्यादा रुपये वसूलने के लिए उसे मिली छूट का उल्लेख अपने बिल पर नहीं करते हैं.