छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी संयुक्त मोर्चा ने फूँका हड़ताल का बिगुल
7 जुलाई को प्रदेश बंद और
1 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल।
जशपुर
छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन,छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी महासंघ,मंत्रालय कर्मचारी संघ,संचालनालय कर्मचारी संघ एवं समस्त कर्मचारी एवं शिक्षक संगठन/एसोसिएशन ने कर्मचारी हित में छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी संयुक्त मोर्चा का गठन कर हड़ताल का बिगुल फूँक दिया है। मंत्रालय (महानदी भवन) एवं संचालनालय ( इंद्रावती भवन) में आयोजित हुए मैराथन बैठक में रायशुमारी के बाद सभी संगठन प्रमुखों ने हड़ताल पर जाने का निर्णय बहुमत से लिया है।
छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन के प्रांताध्यक्ष राजेश चटर्जी,जशपुर जिला अध्यक्ष विनोद गुप्ता एवं महामंत्री संजीव शर्मा ने बताया कि सातवे वेतन पर गृहभाड़ा भत्ता (HRA),केंद्र के समान देय तिथि से महँगाई भत्ता (DA),पिंगुआ कमेटी का रिपोर्ट सार्वजनिक करने,जन घोषणा पत्र अनुसार चार स्तरीय वेतनमान सहित अनियमित/दैनिक वेतन भोगी/अन्य कर्मचारियों का नियमितीकरण, राज्य में लागू किये गए पुरानी पेंशन योजना (OPS) में पेंशन पात्रता/निर्धारण हेतु शिक्षक (एल बी)/अन्य संवर्गों की अहर्तादायी सेवा की गणना प्रथम नियुक्ति तिथी किये जाने जैसे मुददों पर राज्य शासन द्वारा अब तक समाधानकारक निर्णय नहीं लिये जाने के विरुद्ध 7 जुलाई को प्रदेश के सरकारी दफ्तर बंद करने का निर्णय संयुक्त मोर्चा ने लिया है। उन्होंने संयुक्त मोर्चा के निर्णय के संबंध में आगे जानकारी दिया कि यदि सरकार ने अपना टालमटोल/दमनकारी नीति जारी रखा तो अगस्त क्रांति के स्वरूप राज्य के कर्मचारी-अधिकारी 1 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जायेंगे।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर पिंगुआ कमेटी का गठन 17 सितंबर 2021 को प्रदेश के कर्मचारियों/अधिकारियों के लंबित 14 सूत्रीय माँगों जैसे वेतन विसंगति,प्रदेश के कर्मचारियों एवं पेंशनरों को देय तिथी से महँगाई भत्ता,सभी विभागों में लंबित संवर्गीय पदोन्नति,समयमान एवं तृतीय समयमान का लाभ से संबंधित विषयों के लिए हुआ था। लेकिन कमेटी ने कर्मचारी एवं उसके परिवार के हित में छत्तीसगढ़ शासन को रिपोर्ट सौंपना भी मुनासिब नहीं समझा ! उल्टे छत्तीसगढ़ शासन के टालमटोल नीति के तहत 25 मई 2022 को वेतन विसंगति का परीक्षण कर वेतनमान में संशोधन करने सामान्य प्रशासन विभाग (नियम शाखा) के अध्यक्षता में एक और समिति का गठन कर दिया। छत्तीसगढ़ शासन ने कर्मचारियों/अधिकारियों के प्रथमदृष्टया वास्तविक सेवालाभ को देने के मुद्दे को भी कमेटी अथवा समिति के हवाले किया लेकिन कोई समाधान नहीं निकला ! कर्मचारियों को सिर्फ आश्वासन मिलता रहा है अथवा दमनकारी कार्यवाही का सामना करना पड़ा है।
उन्होंने आगे बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य में सातवाँ वेतनमान (पुनरीक्षित-2017) भले ही 1/1/2016 से लागू हो गया हो ,लेकिन,गृहभाड़ा भत्ता (HRA) आज पर्यन्त छटवाँ वेतनमान (पुनरीक्षित-2009 ) के वेतन में पुराने 10 % एवं 7 % के दर पर छत्तीसगढ़ राज्य के कर्मचारी/अधिकारी को दिया जा रहा है। जबकि छत्तीसगढ़ राज्य में पदस्थ केन्द्र कर्मचारियों को सातवें वेतनमान में 1/7/2017 से 16 % एवं 8% तथा 1/7/2021 से 18 % एवं 9% के दर पर गृहभाड़ा भत्ता (HRA) मिल रहा है। एक ही राज्य में कार्यरत केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के कर्मचारियों/अधिकारियों को HRA स्वीकृति के मामले में दोहरा मापदंड है। इसी दोहरा मापदंड के करण 1/1/2016 से 30/4/2023 तक चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी को न्यूनतम ₹ 83864,तृतीय श्रेणी को ₹ 104808,द्वितीय श्रेणी अधिकारी को ₹ 263912 एवं प्रथम श्रेणी को ₹ 361768 का आर्थिक नुकसान सातवे वेतनमान में 10 % एवं 7 % के गणना पर हुआ है। उन्होंने बताया कि सातवे एवं छटवे वेतनमान में 18 % एवं 10% तथा 9 % एवं 7 % के अंतर के गणना में चतुर्थ वर्ग को न्यूनतम ₹ 2201 तथा ₹ 979 ; तृतीय वर्ग को ₹ 2751 एवं ₹ 1224 ; द्वितीय श्रेणी को ₹ 6927 एवं ₹ 3082 ; प्रथम श्रेणी को ₹ 9495 एवं ₹ 4224 रुपयों का नुकसान प्रतिमाह हो रहा है। इस मुद्दे पर छत्तीसगढ़ शासन मौन है।
उन्होंने आगे बताया कि महँगाई भत्ता (DA) स्वीकृति के मामले में भी कर्मचारियों का जबरदस्त आर्थिक शोषण किया गया है। 1 जुलाई 2019 का किश्त 17 % को 1 जुलाई 2021 से दिया गया है।कोरोना काल के कारण केन्द्र में 1/1/20 से 1/1/21 के देय कुल 11 % DA किश्त को 1/7/21 से प्रभावशील हुआ था। जिसके फलस्वरूप DA 17 % से बढ़कर 28 % 1/7/21 से हुआ था। केंद्र शासन ने 1/1/22 से 34 %:1/7/22 से 38 % तथा 1/1/23 से 42 % महँगाई भत्ता अपने कर्मचारियों को दिया है। लेकिन,राज्य शासन ने 1/7/21 से 17 % ; 1/5/22 से 22 % ;1/8/ 22 से 28 % एवं 1/10/22 से 33 % महँगाई भत्ता दे रही है ! जोकि केंद्र के समान देय तिथि से नहीं है। जिसके कारण कर्मचारियों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि आज के स्थिति में महँगाई भत्ता (DA) स्वीकृति के मामले में देय तिथि से राज्य के कर्मचारी केंद्र के कर्मचारियों से 9 % पीछे चल रहे हैं। उन्होंने बताया कि 1 जुलाई 2019 से 30 अप्रैल 2023 तक राज्य में देय तिथि से महँगाई भत्ता स्वीकृत नहीं होने से चतुर्थ वर्ग को न्यूनतम ₹ 41496; तृतीय वर्ग को ₹ 51870 ; द्वितीय श्रेणी को ₹ 130606 तथा प्रथम श्रेणी को ₹ 179018 का आर्थिक नुकसान हुआ है। जितना अधिक वेतन उतना अधिक नुकसान हुआ है।
उन्होंने बताया कि राज्य शासन ने नवीन पेंशन योजना (NPS) के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना (OPS) को 1 अप्रैल 2022 से लागू किया है। राज्य शासन ने अपने आदेश 30/6/2018 के द्वारा शिक्षक (एल बी) संवर्ग को 1 जुलाई 2018 से संविलियन करते हुए समस्त सेवालाभ की पात्रता संविलियन तिथि से दिया है। लेकिन,अर्धवार्षिकी आयु 62 वर्ष पूर्ण कर सेवानिवृत्त होने के स्थिति में पुरानी पेंशन योजना (OPS) के अंतर्गत पेंशन पात्रता हेतु 10 वर्ष न्यूनतम अहर्तादायी सेवा पूर्ण नहीं होने के कारण, अधिकांश,पेंशन लाभ से वंचित हो जायेंगे।उन्होंने जानकारी दिया कि संयुक्त मोर्चा ने पेंशन पात्रता हेतु अहर्तादायी सेवा अवधि की गणना प्रथम नियुक्ति तिथि से करने का माँग किया है।उन्होंने बताया कि अनियमित/दैनिक वेतनभोगी/आंगनबाड़ी/कोटवार/अन्य कर्मचारियों के नियमितीकरण को संयुक्त मोर्चा ने हड़ताल के माँग में शामिल किया है। उन्होंने कहा कि कर्मचारी-अधिकारी केन्द्र/राज्य के विकास रथ के ध्वजवाहक हैं। कर्मचारियों ने कर्तव्य पथ पर बलिदान तक दिया है। अनुकंपा नियुक्ति के मामले में किसी भी प्रकार का प्रतिबंध नहीं रहना चाहिये। कर्मचारियों एवं उसके परिवार का उपेक्षा करना श्रम का अपमान है।