पैसे-पैसे को मोहताज यूपी के इन स्कूलों की बदलने वाली है तस्वीर, हो जाएंगे मालामाल; शिक्षा विभाग के हैं दो प्लान
कानपुर
सरकार से अनुदान पाने वाले अशासकीय जर्जर माध्यमिक विद्यालयों की तस्वीर जल्द बदल जाएगी। शिक्षा विभाग ने इन विद्यालयों को चमकाने के लिए दो योजनाएं शुरू की गई है। अभी तक पाई-पाई को मोहताज यह विद्यालय मालामाल हो जाएंगे। दोनों ही विद्यालयों का क्रियान्वयन शुरू कर दिया गया है। एक में 26 से आवेदन मांगें जाएंगे और दूसरे में जिलाधिकारी के स्तर से कमेटी गठित होने के बाद शुरुआत होगी।
वर्ष 1947 या इससे पहले बने कई अनुदानित विद्यालय जर्जर हैं। इनके पास भरपूर जमीन है। अभी तक वे इसका व्यावसायिक उपयोग नहीं कर सकते थे। शासन ने ऐसे माध्यमिक विद्यालयों के लिए दो योजनाएं शुरू कर दी हैं। एक संशोधित अलंकार योजना और दूसरी मुख्य सचिव के स्तर से जारी आय के संसाधन बढ़ाकर आधारभूत सुविधाएं बढ़ाने की योजना।
ये हैं जर्जर विद्यालय
1947 भारतीय विद्यालय, 1945 हीरालाल खन्ना इंटर कॉलेज, 1820 क्राइस्ट चर्च इंटर कॉलेज, 1933 महात्मा गांधी गोपीनाथ विद्यालय, 1936 श्री वासुदेव मिश्रा हायर सेकेंड्री स्कूल, 1888 जीएनके, 1911 गंगादीन गौरीशंकर, 1915 श्री लल्लू प्रसाद इंटर कॉलेज, 1913 श्री मारवाड़ी कॉलेज, 1919 डीएवी, 1928 हरसहाय कॉलेज, 1939 आर्य नगर इंटर कॉलेज, 1947 राष्ट्रीय इंटर कॉलेज आदि।
दोनों योजनाएं ठीक हैं बशर्ते इनकी संचालन समितियों को समाप्त किया जाए। जब ऑडिट का प्राविधान है तो इसमें खाता संचालन के लिए बनाई गई समिति को अधिकार ठीक नहीं हैं। -सुरेंद्र नाथ पांडेय, प्रदेश महामंत्री, उप्र माध्यमिक विद्यालय प्रबंधक महासभा।
डीआईओएस डॉ. फतेह बहादुर सिंह ने कहा कि शिक्षा निकेतन में 26 जून को प्रबंधकों और प्रधानाचार्यों की बैठक बुलाई गई है ताकि उन्हें संशोधित अलंकार योजना के बारे में जानकारी दी जा सके। शासनादेश में जो प्रावधान दिए गए हैं, उसे जानने के बाद आवेदन किए जा सकेंगे।
संशोधित अलंकार योजना के लाभ
प्रबंधक को 25 और शासन को 75 फीसदी धन लगाना होगा
प्रबंधक अपना हिस्सा सांसद व विधायक निधि से लगा सकेंगे
सीएसआर, पूर्व छात्रों, किसी संस्था से भी प्रबंधक धन ले सकेंगे
75 वर्ष से अधिक वाले विद्यालय सीधे ले सकेंगे योजना का लाभ
स्कूल में कम से कम 300 छात्र होंगे, तो शासन 25 लाख देगा
विद्यालयों की आय बढ़ाने की योजना
विद्यालय परिसर वैवाहिक व अन्य गतिविधियों के लिए दे सकेंगे
कृषि योग्य अथवा अन्य भूमि को पट्टे बटाई पर दिया जा सकेगा
व्यावसायिक जिम, स्वीमिंग पूल आदि कैंपस में बनवा सकेंगे
नर्सरी, प्राथमिक, मांटेसरी आदि स्कूल भी खोले जा सकेंगे
व्यावसायिक कैंटीन,हाट बाजार का भी संचालन कर सकेंगे