भारतीय सेना होगी और ताकतवर, अमेरिका से MQ-9B Predator ड्रोन खरीदने की प्रक्रिया शुरू करेगा भारत
नई दिल्ली
भारतीय सेना को और भी ताकतवर और मजबूत बनाने के लिए भारत दुनिया के सबसे ताकतवर ड्रोन MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन को खरीदने जा रहा है। जुलाई की शुरुआत में अमेरिका से 31 सशस्त्र ड्रोन खरीदने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
क्या है खासियत
हंटर-किलर एमक्यू-9बी रीपर या प्रीडेटर-बी ड्रोन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये 40,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर लगभग 40 घंटे तक उड़ान भर सकता हैं। यह ड्रोन सटीक हमलों के लिए हेलफायर हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों और स्मार्ट बमों से लैस हैं। इस ड्रोन की सबसे खास बात यह है कि ये चीन के मौजूदा सशस्त्र ड्रोन से कहीं ज्यादा बेहतर है।
चीन भी दे रहा पाकिस्तान को ड्रोन
बता दें कि, चीन अपने सशस्त्र काई होंग-4 और विंग लूंग-II ड्रोन की आपूर्ति पाकिस्तान को भी कर रहा है। भारत 31 एमक्यू-9बी ड्रोन के लिए अनुरोध पत्र (letter of request) जुलाई के पहले सप्ताह में अमेरिकी सरकार को भेजेगा। रक्षा मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने शनिवार को बताया कि यह 15 जून को राजनाथ सिंह की अगुवाई वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद द्वारा डील के लिए एओएन (आवश्यकता की स्वीकृति) दिए जाने के बाद आया है।
डील पर आएगा इतना खर्च
इस डील में 31 ड्रोनों के अलावा, नौसेना के लिए 15 सी गार्डियन, सेना और भारतीय वायुसेना के लिए आठ स्काई गार्डियन, मोबाइल ग्राउंड कंट्रोल सिस्टम, हथियारों और अन्य उपकरणों के साथ इस डील के सौदे का खर्चा 3.5 बिलियन डॉलर यानी 29,000 करोड़ है।
पहली खेप एक-दो साल के भीतर मिलेगी
इस डील के तहत, उच्च-ऊंचाई, लंबी-धीरज (HALE) ड्रोन भारत में असेंबल किए जाएंगे। अधिकारी ने कहा कि ड्रोन-निर्माता जनरल एटॉमिक्स भारतीय कंपनियों के साथ गठजोड़ कर कुछ घटक बनाएगी। इसका मौजूदा आंकड़ा 8-9% है लेकिन इसे 15-20% तक बढ़ाने की गुंजाइश है। जनरल एटॉमिक्स भारत में एक लागत प्रभावी और व्यापक वैश्विक एमआरओ (रखरखाव, मरम्मत, ओवरहाल) सुविधा भी स्थापित करेगी, जो ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे अन्य देशों को भी पूरा कर सकती है। भारत को अनुबंध पर हस्ताक्षर होने के एक से दो साल के भीतर पहले 10 एमक्यू-9बी ड्रोन शामिल करने की उम्मीद है। बाकी हर छह महीने में बैचों में आएंगे।
क्या है भारत की योजना
भारत की उत्तर-पश्चिम, उत्तर-पूर्व और दक्षिण भारत में तीन त्रि-सेवा आईएसआर कमांड और नियंत्रण केंद्रों पर इन ड्रोन को तैनात करने की योजना है। पिछले साल जुलाई में, DRDO ने स्टील्थ विंग फ्लाइंग टेस्टबेड (SWiFT) का परीक्षण किया था, जो अंततः रिमोट-पायलट स्ट्राइक एयरक्राफ्ट (RPSA) का एक छोटा संस्करण है। लेकिन इसे चालू होने में कई साल लगेंगे।