बस्तर की सभी 12 सीट जीतने के लिए सभी को संयुक्त रूप से काम करना होगा : टीएस सिंहदेव
जगदलपुर
कांग्रेस कार्यकतार्ओं के प्रशिक्षण सम्मेलन में सम्मिलित होने बस्तर पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि बस्तर में 12 की 12 विधानसभा सीट वापस लाना आसान नहीं होगा। इसके लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। पिछले चुनाव में बस्तर के मतदाताओं ने कांग्रेस प्रत्याशियों पर भरोसा दिखाया था, इस विश्वास को बनाए रखने की जिम्मेदारी अब हम सभी की होगी। सिंहदेव ने कहा कि चुनाव के पहले किसी भी प्रतिद्वंद्वी को हल्के में लेना भूल होगी। यह कह देना कि बस्तर की सभी सीट जीतेंगे ऐसा असंभव तो नहीं है पर इसके लिए सभी को संयुक्त रूप से काम करना होगा। उन्होने कहा कि ऊपरी स्तर के नेताओं से लेकर संगठन व जमीनी कार्यकतार्ओं को मिलकर यह लड़ाई लड?ी होगी। सर्व आदिवासी समाज के चुनावी मैदान में उतरने को लेकर उन्होने कहा कि सर्व आदिवासी समाज यदि अपने प्रत्याशी उतारते हैं तो भी हमें तैयारी के साथ मैदान में जाना होगा।
प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा और प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम के बीच संगठन में फेरबदल को लेकर हुए विवाद पर स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव ने कहा कि चुनाव के पहले किसी भी तरह का तालमेल या आदान-प्रदान में कमी दिखने का संदेश जाता है तो यह अच्छा नहीं है। इस प्रकरण में प्रदेश प्रभारी के निर्देश आने के बाद प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने स्पष्ट कर दिया था कि प्रदेश प्रभारी के निर्देश के अनुरूप ही काम करेंगे। स्वास्थ्य मंत्री ने शराबबंदी के विषय पर कहा कि चुनाव के समय जो घोषणापत्र बनाया गया था उस समय मैं भी इस काम के लिए नजदीक से जुड़ा हुआ था। लोगों ने मुझसे कहा था यदि शराब बंदी करोगे तो हम वोट नहीं देंगे।
इसकी वजह थी कि वे लोग शराब का सेवन करते थे। दूसरी तरफ महिलाएं शराब बंद करवाने के पक्ष में थीं। ये दो राय निकलकर सामने आई। घरेलू हिंसा, सामाजिक तानेबाने, आर्थिक तंगी की वजह महिलाएं चाहती थीं कि शराब बंदी हो जाए लेकिन ये लागू नहीं हो पाया। उन्होने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों के लोग भी शराब का सेवन करते हैं। आदिवासी क्षेत्रों में 5 लीटर तक शराब रखने का कानून बना है। सेवन करना उनकी संस्कृति में है। यदि आप पूर्ण शराबबंदी कर देंगे तो आदिवासी समाज इसका समर्थन नहीं करेगा। कुल 146 ब्लॉक हैं उनमें आधे से ज्यादा यानी 85 ग्रामीण क्षेत्र है। उनमें शराब का सेवन की परंपरा से जुड़ा हुआ है इसलिए ऊपर से शराबबंदी करना मतलब सांस नहीं लेने देने के बराबर होगा।