जनता पर मोदी की मार अरहर दाल 150, टमाटर 100 के पार : मरकाम
रायपुर
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि मोदी सरकार 100 दिनों में महंगाई कम करने के वायदे का 9 साल में पूरा नहीं कर पाई, महंगाई तो कम हुए नहीं बल्कि 9 साल में जनता महंगाई के बोझ के तले दब गई, रोजी रोजगार छीने गए, लोगों के घरों में खाद्य सामग्रियों की कमी दिख रही है ऐसा प्रतीत होता है कि आधा पेट भर कर लोग जीवन जीने मजबूर हैं महंगाई के चलते बच्चों को सुपोषित आहार नहीं मिल पा रहा है हर वर्ग पर मोदी के महंगाई का प्रभाव दिख रहा है।
मरकाम ने कहा ने कहा कि देश में राहर दाल, खाद्य तेल के दामों में बेतहाशा बढ़ोतरी से जनता का जीवन दूभर हो गया है। टमाटर के दाम 100 रू. और राहर दाल 150 रू. में आम आदमी खरीदने को मजबूर है। साल भर के भीतर ही दूध, तेल, नमक जैसे जरूरी चीजों की कीमत में 24 प्रतिशत तक का इजाफा हो गया है। साल भर पहले जो चावल 35.27 रुपये किलो था आज 60 रुपए किलो हो चुका है, गेहूं 27 रुपए से बढ़ कर 42 रुपए किलो, अरहर दाल 90 रुपये से बढ़कर 150 रुपये किलो, दूध 49 रुपये से बढ़कर 55 रुपये और वनस्पति तेल 136 रुपये से बढ़कर 143 रुपये हो गया है। 9 साल पहले अच्छे दिन का जो वादा किया गया था वह महंगे दिन बन चुका है। अब जनता मोदी सरकार द्वारा की जा रही बेतहाशा वसूली से त्रस्त हो चुकी है और पुन: कांग्रेस को मौका देना चाहती है। जनता का आक्रोश हाल ही में हुए हिमाचल प्रदेश के चुनाव और देश के विभिन्न राज्यों में हुए उपचुनावों में साफ दिखाई देता है। जनता भाजपा के शिकस्त की कहानी लिखना शुरू कर चुकी है।
उन्होंने कहा कि पेट्रोल, डीजल, गैस, दूध, दाल, तेल, नमक जैसी रोजमर्रा की चीजों की कीमतों में हो रहे लगातार इजाफे के कारण जनता का जिसका परिणाम हाल ही में हुए उपचुनावों और विधानसभा चुनावों में दिखा है। जनता से बेरहमी से वसूले जा रहे भारी भरकम टैक्स की वजह से लोग अपनी मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित होते जा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में 33 फीसद की गिरावट के बाद कच्चे तेल की कीमत महज 76 डॉलर प्रति बैरल रह गई है। कच्चे तेल की वर्तमान कीमत के अनुसार पेट्रोल और डीजल के दामों में 33 रुपए तक की कमी आनी चाहिए मगर मुनाफाखोर मोदी सरकार अपने मुनाफे में एक पैसे की भी कटौती नहीं चाहती चाहे जनता का हाल जो भी हो। पिछले आठ सालों में केंद्र सरकार ने बार-बार पेट्रोल और डीजल पर करों में वृद्धि कर जनता से 26 लाख करोड़ रुपये वसूल लिए हैं।