गुजरात के इन दो बड़े मंदिरों ने 200 किलो सोने को किया मोनेटाइज…बैंकों से मिली बड़ी रकम
गुजरात
केंद्र सरकार की स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (GMS) के तहत मुद्रीकरण के लिए सोना जमा करने में गुजरात के मंदिर सबसे आगे हैं। इसके तहत गुजरात के दो बड़े मंदिरों ने 200 किलोग्राम सोने को मोनेटाइज करवाया है। नेशनल डेस्क: केंद्र सरकार की स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (GMS) के तहत मुद्रीकरण के लिए सोना जमा करने में गुजरात के मंदिर सबसे आगे हैं। इसके तहत गुजरात के दो बड़े मंदिरों ने 200 किलोग्राम सोने को मोनेटाइज करवाया है। इससे मंदिरों को 120 करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि प्राप्त हुई है।
मंदिर के ट्रस्टों के अनुसार मोनेटाइज से मिली रकम को चैरिटी के कार्यों पर खर्च किए जाएगा। इसके अलावा इसी धनराशि से मंदिरों की मरम्मत, देखरेख और संचालन भी होगा। सोमनाथ और शक्तिपीठ में शामिल अंबाजी मंदिर को 200 किलोग्राम सोने को माेनेटाइज कराने से 120.6 कराेड़ रुपए की धनराशि प्राप्त हुई। दोनों मंदिरों ने सोने को केंद्र सरकार की गोल्ड मोनेटाइज स्कीम (GMS) के तहत मोनेटाइज करवाया है।
सोमनाथ और अंबाजी मंदिर ने यह सोना सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में जमा किया था। अहमदाबाद स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान की एक स्टडी के अनुसार केंद्र सरकार की गोल्ड मोनेटाइज स्कीम में देश के लोगों ने दिलचस्पी नहीं दिखाई है। देश में लोगों के बीच मौजूद सोने का केवल 0.22% इस योजना के तहत मोनेटाइज हुआ है, लेकिन गुजरात की दो बड़े मंदिरों ने बहुत कम समय में 200 किलोग्राम सोना बैंकों में जमा किया और इतनी धनराशि प्राप्त की।
GMS क्या है?
अहमदाबाद बाजार में सोने की कीमत 60,300 रुपए प्रति 10 ग्राम थी। एक बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार मंदिरों को गोल्ड मोनेटाइज स्क्रीन के तहत दान के रूप में एकत्र किए गए सोने को बैंकों में जमा करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसमें मीडियम टर्म डिपॉजिट पर 2.25% सालाना ब्याज मिलता है, जबकि लॉन्ग टर्म डिपॉजिट पर 2.50% सालाना ब्याज मिलता है। यह मंदिरों के लिए बहुत फायदेमंद है। इससे जहां सोना से धनराशि भी प्राप्त कर सकते हैं, साथ ही इस पर ब्याज भी मिलता है।
गुजरात से जीएमएस के तहत की गई जमा राशि का सबसे बड़ा हिस्सा अंबाजी मंदिर ट्रस्ट से आया। मंदिर जीएमएस के तहत तीन चरणों में 168 किलोग्राम सोना जमा कर चुका है। जिसमें दो चरणों में 96 किग्रा और 23 किग्रा शामिल है। मंदिर के शिखर को सजाने में करीब 140 किलो सोने का इस्तेमाल किया गया है। सोमनाथ की तुलना में अंबाजी मंदिर में अधिक सोना आता है। मंदिर में दान के रूप में बहुत सारे आभूषण आते हैं।