संजय राठौड़ के मंत्री बनने पर एकनाथ शिंदे और BJP में तकरार, चित्रा वाघ ने खोला मोर्चा
मुंबई।
महाराष्ट्र में लंबे इंतजार के बाद कैबिनेट का विस्तार तो हो गया, लेकिन मंत्रिमंडल में कुछ 'दागी' विधायकों को शामिल करने के कारण एकनाथ शिंदे खेमे और भाजपा के भीतर तनाव पैदा हो रहा है। मंगलवार को भाजपा की राज्य उपाध्यक्ष चित्रा वाघ ने संजय राठौड़ को शामिल किए जाने के खिलाफ सार्वजनिक रूप से बयान दिया। राठौड़ कथित तौर पर आत्महत्या करने वाली 22 वर्षीय लड़की की मौत के मामले से जुड़े हुए हैं।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दावा किया कि उन्होंने राठौड़ को मंत्रिमंडल में शामिल किया है, क्योंकि पुणे पुलिस ने उन्हें 'क्लीन चिट' दी है। वाघ ने बुधवार को इस क्लीन चिट के आधार पर सवाल उठाया और कहा कि वे इस मुद्दे पर अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।
जिस सार्वजनिक तरीके से भाजपा के एक वरिष्ठ नेता इस मुद्दे को उठा रही हैं, वह राठौड़ के मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने के बाद पार्टी के भीतर की शर्मिंदगी को उजागर करता है। देवेंद्र फडणवीस से लेकर वाघ और अन्य के भाजपा नेता पिछले साल से राठौड़ के इस केस में शामिल होने का मुद्दा उठा रहे हैं। आपको बता दें कि उस समय राठौड़ एमवीए सरकार में मंत्री थे। आरोप सामने आने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था।
सूत्रों ने कहा कि भाजपा ने शिंदे से राठौड़ को मंत्रालय में शामिल नहीं करने को कहा था। हालांकि, मुख्यमंत्री ने इनकार कर दिया। राठौड़ को शामिल किए जाने के बारे में पूछे जाने पर बुधवार को भाजपा नेता आशीष शेलार ने कहा, "चित्रा वाघ लंबे समय से इस मुद्दे को उठा रही हैं। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण देंगे। राठौड़ शिवसेना से हैं।" शेलार ने भी इस बात के संकेत दिए कि राठौड़ के कैबिनेट शामिल होने से भाजपा को समस्या थी।
शिंदे खेमा भी भाजपा से उतना ही खफा है। विधायकों के अनुसार, देर से कैबिनेट विस्तार और बार-बार सीएम के दिल्ली दौरे पर जाने से राज्य में शिंदे के नेतृत्व पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। शिंदे खेमे के नेताओं ने कहा कि उद्धव समूह लगातार उन्हें दिल्ली के सामने 'झुकने' के लिए निशाना बना रहा था। 39 दिनों के बाद कैबिनेट विस्तार होने के बावजूद विभागों का आवंटन नहीं होने से तनाव जारी है। दोनों पार्टियों के नेताओं ने कहा कि बर्थ आवंटन को लेकर कुछ मुद्दे हैं।