इमरान खान को इस्लामाबाद हाई कोर्ट से लगा बड़ा झटका, उपचुनाव को रद करने की मांग वाली याचिका खारिज
इस्लामाबाद
इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) को इस्लामाबाद हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने PTI की उस याचिका को खारिज कर दिया है। जिसमें उन्होंने पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) द्वारा 9 नेशनल असेंबली सीटों पर होने वाले उपचुनाव को रद करने की मांग की थी। इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने बुधवार को इस याचिका को खारिज कर दिया है। द न्यूज इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, याचिकाकर्ता को संबोधित करते हुए अदालत ने टिप्पणी की है कि चुनावी प्रक्रिया को जारी रहने दें। 123 निर्वाचन क्षेत्रों में उपचुनाव की प्रक्रिया भी बाद में पूरी की जाएगी।
इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश आमिर फारूक ने 9 निर्वाचन क्षेत्रों में उपचुनाव को को चुनौती देने वाले पीटीआई द्वारा दायर मामले की सुनवाई की। पीटीआई के वकील फैसल चौधरी ने कहा कि वे चाहते हैं कि कोर्ट उपचुनाव कार्यक्रम को रोके। जिस पर अदालत ने वकील से उनके अनुरोध के लिए कानूनी कारण पेश करने को कहा। वकील ने कहा कि पीटीआई के एमएनए के इस्तीफे की चरण-वार स्वीकृति के खिलाफ हाई कोर्ट के समक्ष एक याचिका लंबित थी। जिसमें कहा गया कि 123 पीटीआई एमएनए ने इस्तीफा दे दिया और उप-चुनाव कार्यक्रम सभी निर्वाचन क्षेत्रों पर जारी किया जाना चाहिए, न केवल नौ सीटों पर।
कोर्ट ने ECP से मांगा जवाब
द न्यूज इंटरनेशनल ने बताया कि अदालत ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया और मामले की सुनवाई के बाद ईसीपी से भी जवाब मांगा है। हालांकि, हाई कोर्ट ने उपचुनाव कार्यक्रम को स्थगित करने के अनुरोध को खारिज कर दिया है। इसके बाद मामले की आगे की सुनवाई 16 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी गई है। बता दें कि चुनाव आयोग ने शुक्रवार को 25 सितंबर को होने वाली नौ नेशनल असेंबली सीटों पर उपचुनाव की घोषणा की है।
पिछले सप्ताह खटखटाया था कोर्ट का दरवाजा
बता दें कि पिछले सप्ताह पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय का रुख किया था और नौ नेशनल असेंबली सीटों के लिए ईसीपी द्वारा घोषित किए गए उपचुनाव कार्यक्रम को स्थगित करने की मांग की गई थी। पीटीआई के वकील फैसल चौधरी ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर कर अदालत से चुनाव कार्यक्रम को स्थगित करने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा था कि अदालत द्वारा पूर्व याचिका पर संज्ञान लेने के बावजूद उपचुनाव की तारीख घोषित करना दुर्भावनापूर्ण प्रयास है।