November 28, 2024

राहुल का Parliament जाने का रास्ता बंद! सियासत की अब कौन सी राह पकड़ेंगे राहुल गांधी

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नईदिल्ली
मोदी सरनेम पर टिप्पणी को लेकर आपराधिक मानहानि केस में निचली अदालत से सजा के बाद हुल गांधी को गुजरात हाई कोर्ट से भी तगड़ा झटका लगा है। हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है। इसका मतलब है कि राहुल गांधी की संसद सदस्यता वापस मिलने और 2024 या 2029 का चुनाव लड़ने की उम्मीदों का एक और रास्ता बंद हो चुका है। कांग्रेस ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का ऐलान कर दिया है। अब सबकी निगाह शीर्ष अदालत पर होगी कि राहुल गांधी को राहत मिलती है या नहीं। हाई कोर्ट के फैसले के बाद अब राहुल गांधी के राजनीतिक भविष्य पर सवालिया निशान लग गया है। आइए समझते हैं कि अब संसद और सियासत के लिए कौन सी राह पकड़ेंगे राहुल गांधी।

सबसे पहले नजर डालते हैं कि राहुल गांधी से जुड़ा ये मामला क्या है। 2019 चुनाव से पहले कांग्रेस नेता ने कर्नाटक के कोलार की एक रैली में सवाल किया था कि 'सभी चोरों का सरनेम मोदी ही क्यों होता है'। इसे लेकर पूर्णेश मोदी नाम के गुजरात के एक बीजेपी नेता ने राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का केस दर्ज करा दिया। 23 मार्च 2023 को सूरत की एक अदालत ने राहुल गांधी को आईपीसी की धारा 499 और 500 के तहत दोषी ठहराते हुए दो साल कैद की सजा सुनाई। आपराधिक मानहानि के मामलों में अधिकतम 2 साल की सजा ही हो सकती है। इसके बाद केरल की वायनाड लोकसभा सीट से सांसद रहे राहुल गांधी की संसद सदस्यता छिन गई। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक लिली थॉमस और लोक प्रहरी केस में फैसला दिया था कि अगर किसी सांसद, विधायक या एमएलसी को किसी मामले में 2 साल या उससे ज्यादा की सजा होती है तो उसकी सदस्यता तत्काल प्रभाव से खत्म हो जाएगी। इतना ही नहीं, सजा की अवधि पूरी होने के 6 साल बाद तक संबंधित नेता चुनाव भी नहीं लड़ पाएगा।

निचली अदालत के फैसले पर रोक की मांग को लेकर राहुल गांधी ने गुजरात हाई कोर्ट का रुख किया। शुक्रवार को उसी पर हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया। जस्टिस हेमंत प्रक्षक की सिंगल जज बेंच ने कहा कि निचली अदालत का फैसला सही है। उन्होंने अपने फैसले में कहा, 'उनके खिलाफ कम से कम 10 आपराधिक मामले लंबित हैं। यहां तक कि इस केस के बाद भी उनके खिलाफ कुछ केस दर्ज हुए हैं। ऐसा ही एक केस वीर सावरकर के पोते ने दर्ज कराया है। दोष सिद्धि से कोई अन्याय नहीं होगा। सजा सही और उचित है। उस फैसले (निचली अदालत) में दखल देने की कोई जरूरत नहीं है। लिहाजा, याचिका खारिज की जाती है।'

हाई कोर्ट से झटके के बाद राहुल गांधी अब क्या करेंगे? कांग्रेस पहले ही सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कह चुकी है। मार्च में निचली अदालत के फैसले के बाद हाई कोर्ट में जाने में राहुल गांधी ने वक्त लिया था। तब उसे जनता के बीच सहानुभूति हासिल करने की कांग्रेस की रणनीति के तौर पर देखा गया। बीजेपी नेताओं की फौज भी इसकी काट के लिए 'समूचे ओबीसी समुदाय के अपमान' का नैरेटिव गढ़ने में लग गई। लेकिन हाई कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कह रही है। हाई कोर्ट की सिंगल जज बेंच का फैसला है तो बड़ी बेंच में जाने की गुंजाइश बनी ही हुई है। अगर राहुल गांधी की सजा पर सुप्रीम कोर्ट या फिर हाई कोर्ट की बड़ी बेंच से रोक लग जाती है तो उनकी संसद सदस्यता बहाल होने का रास्ता खुल सकता है।

लोकसभा चुनाव में अब सालभर से कम वक्त है। कहां तो लालू यादव इशारों-इशारों में राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद के लिए तैयार रहने को कह रहे थे। 'दूल्हा' बनने के लिए तैयार रहिए, हम सभी बाराती बनेंगे। और कहां अब 'दूल्हा' यानी प्रधानमंत्री बनना तो दूर राहुल गांधी के 2024 चुनाव लड़ने पर ही ग्रहण लग गया है। 2024 ही क्यों, अगर ऊपरी अदालत से राहत नहीं मिली तो नियमों के मुताबिक वह 2029 का चुनाव तक नहीं लड़ पाएंगे। ऐसी स्थिति में राहुल गांधी क्या करेंगे? उनके संसद में पहुंचने का रास्ता तो फिलहाल पूरी तरह बंद नजर आ रहा है। अगर उन्हें सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली तो कांग्रेस इस मुद्दे पर जनता की सहानुभूति हासिल करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी। इसके लिए माहौल बनाने की खातिर पदयात्रा, मार्च या देशभर में जनसंपर्क जैसी मुहिम चला सकती है। दूसरी तरफ बीजेपी भी इसे काउंटर के लिए 'ओबीसी के अपमान' का कार्ड खेलेगी।

राहुल गांधी अगर चुनाव नहीं भी लड़ पाते हैं तो वह चुनाव प्रचार की बागडोर तो संभाल ही सकते हैं। चुनाव नहीं लड़ने की सूरत में उनके पास किसी एक निर्वाचन क्षेत्र पर खास फोकस का दबाव भी नहीं रहेगा। लेकिन राहुल गांधी को अगर राहत नहीं मिलती है तो प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी के खिलाफ उनकी दावेदारी तो वैसे ही खत्म हो जाएगी। तो क्या प्रधानमंत्री पद के लिए कांग्रेस की दावेदारी भी खत्म हो जाएगी? नहीं। सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी पीएम पद के लिए अपनी दावेदारी तो नहीं ही छोड़ेगी खासकर तब जब कर्नाटक में जबरदस्त जीत के बाद उसका जोश सातवें आसमान पर है। पीएम पद के लिए वह राहुल गांधी की जगह पर किसी और चेहरे को आगे करेगी। प्रियंका गांधी वाड्रा वो चेहरा हो सकती हैं।

गुजरात हाई कोर्ट के फैसले के बाद प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट कर हुंकार भी भर दी है- सत्य की जीत होगी, जनता की आवाज जीतेगी।

 

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