पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव: 73,000 सीटों के लिए मतदान शुरू
कोलकाता
पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों के लिए मतदान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सुबह सात बजे शुरू हो गया। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे करीब 5.67 करोड़ लोग अपने मताधिकारों का इस्तेमाल करने के पात्र हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 73,887 सीटों के लिए कुल 2.06 लाख उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। यह चुनाव राजनीतिक दलों के लिए काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि यह 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले उनके संगठन की क्षमता और कमजोरी के बारे में आकलन करने का एक अवसर देगा। इसके अलावा यह चुनाव तृणमूल कांग्रेस सरकार के लगातार तीसरे कार्यकाल के दो वर्षों में राज्य के मिजाज को रेखांकित करेगा। पश्चिम बंगाल में आठ जून को चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद समूचे राज्य में हिंसा की छिटपुट घटनाएं हुईं, जिसमें 15 से अधिक लोगों की मौत हो गई।
राज्य के 22 जिलों में ग्राम पंचायत की 63,229 सीटें और पंचायत समिति की 9,730 सीटें हैं, जबकि 20 जिलों में 928 जिला परिषद सीटें हैं। रुक-रुक कर हो रही बारिश के बीच सुबह छह बजे से ही मतदान केंद्रों के बाहर लंबी कतारें देखी गईं। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस जिला परिषदों की सभी 928 सीटों, पंचायत समितियों की 9,419 सीटों और ग्राम पंचायतों की 61,591 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 897 जिला परिषद सीटों, पंचायत समिति की 7,032 सीटों और ग्राम पंचायतों की 38,475 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) 747 जिला परिषद सीटों, पंचायत समिति की 6,752 सीटों और ग्राम पंचायत की 35,411 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस 644 जिला परिषद सीटों, पंचायत समिति की 2,197 सीटों और ग्राम पंचायत की 11,774 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
चुनाव के लिए राज्य पुलिस के 70,000 कर्मियों के साथ-साथ केंद्रीय बलों की कम से कम 600 कंपनियां तैनात की गई हैं। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी. वी. आनंद बोस ने ग्रामीण बंगाल के लोगों से पंचायत चुनाव में अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने का आग्रह करते हुए शुक्रवार को कहा कि वह मतदान के दौरान अपनी टीम के साथ सड़कों पर मौजूद रहेंगे। उनका उत्तर 24 परगना जिले के बैरकपुर और बशीरहाट और नादिया जिले के कुछ हिस्सों का दौरा करने का कार्यक्रम है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस महासचिव अभिषेक बनर्जी के साथ सत्तारूढ़ पार्टी के चुनाव अभियान का नेतृत्व किया। विपक्षी दलों – भाजपा, माकपा और कांग्रेस – का अभियान मुख्य रूप से पंचायत स्तर से लेकर राज्य स्तर पर शिक्षकों की भर्ती तक भ्रष्टाचार के आरोपों और राजनीतिक हिंसा पर केंद्रित था।