वेस्ट यूपी में BJP चंद्रशेखर रावण का भी ले सकती है साथ, नए सूट और चावल-खीर से जयंत ने बढ़ाया सस्पेंस
लखनऊ
मिशन-2024 के लिए भाजपा कुनबा बढ़ाने में जुट गई है। इसकी कवायद पूरब से पश्चिम तक शुरू की गई है। इसी बीच कभी नया सूट सिलवाने तो कभी चावल और खीर, जैसे बयानों और ट्वीट से जयंत चौधरी सियासी सस्पेंस बढ़ाने में जुटे हैं। मगर भाजपा की निगाहें सिर्फ जयंत नहीं, उनके साथ चंद्रशेखर पर भी टिकी हैं। दरअसल चंद्रशेखर दलितों में जिस जाति से आते हैं, वो पश्चिमी यूपी का चुनावी गुणा-गणित बनाने-बिगाड़ने में सक्षम है। ऐसे में वे भाजपा के लिए मददगार हो सकते हैं।
भाजपा की रणनीति इलाकेवार प्रभावी दलों और क्षत्रपों को साधने की है। पूरब के बाद अब पश्चिम में भी पार्टी ने इस रणनीति पर अमल शुरू कर दिया है। पश्चिमी यूपी में तमाम सीटों पर जाटव वोट बैंक निर्णायक स्थिति में है। बीते करीब ढाई दशक से इस वोट बैंक पर बसपा का प्रभाव रहा है। मगर 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा द्वारा किया गया एक प्रयोग इतना सफल रहा कि उसने भाजपा की योगी आदित्यनाथ सरकार को रिपीट कराने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
2022 में सफल रहा भाजपा का प्रयोग
भाजपा ने आगरा की दोनों आरक्षित सीटों छावनी व आगरा ग्रामीण पर पहली बार जाटव प्रत्याशी दिए और पार्टी जिले की नौ सीटें जीतने में सफल रही। अलीगढ़ में इगलास की रिजर्व सीट से राजकुमार जाटव, खुर्जा से मीनाक्षी जाटव, हापुड़ से विजयपाल जाटव, कन्नौज से असीम अरुण, रामपुर की मिलक से राजबाला, सहारनपुर की रामपुर मनिहारन से भी भाजपा के जाटव प्रत्याशी जीते। पहली बार सहारनपुर देहात की सामान्य सीट से जाटव समाज के जगपाल सिंह को मैदान में उतारा था और उन्होंने जीत भी हासिल की। जाटवों को रिझाने के लिए ही भाजपा ने असीम अरुण और बेबीरानी मौर्य को मंत्री बनाया। पुलिस सेवा छोड़ भाजपा थामने वाले असीम को पार्टी ने गाजियाबाद व हाथरस के प्रभारी की जिम्मेदारी भी सौंपी।
पश्चिम में साझा कदमताल कर रही जोड़ी
आजाद समाज पार्टी प्रमुख चंद्रशेखर भी इसी जाति से आते हैं। वो धीरे-धीरे पश्चिमी यूपी में ताकत बढ़ाने में जुटे हैं। जयंत और चंद्रशेखर की जोड़ी इन दिनों पश्चिम में साझा कदमताल करती दिख रही है। इसका लाभ रालोद को खतौली के उपचुनाव सहित निकाय चुनावों में भी कई सीटों पर हुआ है। चंद्रशेखर इस बार नगीना सुरक्षित सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। उनकी पार्टी के कोषाध्यक्ष वीरेंद्र श्रीश बुलंदशहर सुरक्षित लोकसभा सीट से भाग्य आजमाना चाहते हैं। इन्हीं सियासी महत्वकांक्षाओं के बीच भाजपा भी अपना सियासी ताना-बाना बुनने में जुट गई है।