September 28, 2024

खतरे में बिहार का ‘दाल का कटोरा’, 1964 में उठी थी यह मांग, पीएम मोदी से भी मिली निराशा

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बिहार

लगभग 6 लाख 55 हजार बीघा (1062 किलोमीटर) में पसरे मोकामा टाल का इलाका बिहार में दाल उपज का प्रमुख केंद्र माना जाता है। 20 लाख से अधिक की आबादी और 500 से अधिक गांवों की आजीविका में मोकामा टाल का प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से बड़ा हाथ है। मोकामा टाल को दाल का कटोरा भी कहा जाता है, लेकिन यहां जलजमाव के कारण हर साल किसानों की खेती मारी जाती है।

दरअसल 15 अक्टूबर से 15 नवम्बर के बीच दलहनी फसलों की बुआई का उचित समय माना जाता है। लेकिन जलजमाव के कारण फसलों की बुआई समय से नहीं होती। हजारों एकड़ खेत परती रह जाते हैं। विलम्ब से बुआई के कारण फसल की लागत भी नहीं निकल पाती। किसान पिछले एक दशक से यह परेशानी झेल रहे हैं। पानी की निकासी की कोई मुकम्मल व्यवस्था अब तक नहीं हुई है।

आजादी के बाद से टाल परियोजना की उठ रही मांग

मोकामा टाल परियोजना (दो फसला) की मांग आजादी के बाद से उठ रही है। 21 फरवरी,1964 को बिहार विधानसभा में राम जतन सिंह ने मोकामा टाल परियोजना को तीसरी पंचवर्षीय योजना में शामिल करने का प्रस्ताव दिया था। वर्ष 2017 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोकामा आये तो उसी टाल भूमि पर उनका कार्यक्रम हुआ था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मंच पर मौजूद थे। उस समय प्रधानमंत्री के सामने भी टाल परियोजनाओं की मांग लोगों ने उठाई, लेकिन अब तक निराशा ही हाथ लगी है।

जल प्रबंधन के लिए बन रहे स्लूईस गेट अधूरे

मोकामा टाल क्षेत्र की जल निकासी की व्यवस्था,गंगा नदी के बैक वाटर के प्रवेश को रोकने, जल प्रवाह को नियंत्रित करने और बेहतर जल प्रबंधन के लिए पांच एंटी फ्लड स्लूइस का निर्माण कराया गया। बालगुदर (लखीसराय) में हरोहर नदी पर एंटी फ्लड स्लूईस गेट निर्माणधीन है। पांच वर्षों के बाद भी निर्माण पूरा नहीं हो सका है।

क्या है यह एंटी फल्ड स्लूईस गेट?

टाल क्षेत्र में बरसात के दिनों में दक्षिण बिहार की दर्जनों नदियों का पानी एकत्रित होता है,जो गंगा नदी का जलस्तर कम होने के बाद हरोहर नदी के रास्ते किउल नदी से होते हुए गंगा में वापस जाकर मिलता है। यह स्लूईस गेट हरोहर नदी पर एक कृत्रिम मानव संचालित बांध के रूप में कार्य करेगा, जो गंगा नदी के बैक वॉटर को टाल में प्रवेश करने से रोकेगा।

एंटी फ्लड स्लूईस गेट की जरूरत क्यों पड़ी?

 जब गंगा और दक्षिण बिहार की नदियों का पानी बढ़ता है, तो ये बेसिन में फैलता है, इसी क्रम में टाल में पानी भरता है। गंगा का पानी भी किउल हरोहर के रास्ते टाल में आने लगता है, जिसे बैक वॉटर कहते हैं। इसी एंटी फ्लड स्लूईस गेट के सारे दरवाजा बंद कर गंगा के बैक वॉटर को टाल में आने से रोका जा सकेगा। गंगा का जलस्तर कमने के बाद टाल से पानी हरोहर के रास्ते धीरे धीरे निकलने लगता है।

 

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