November 29, 2024

डीडीयू को राज्‍य सूचना आयोग से झटका, वकील ने RTI के तहत मांगी थी सूचना; ऐसा जवाब देने पर जुर्माना

0

गोरखपुर
 डीडीयू को राज्य सूचना आयोग से तगड़ा झटका लगा है। आयोग ने आरटीआई के तहत सूचना न दिए जाने और स्पष्टीकरण न देने पर कुलसचिव पर अर्थदंड लगाया है। तीन दिन में सूचना न देने पर विभागीय कार्यवाही की संस्तुति की चेतावनी भी दी है। दीवानी न्यायालय के एडवोकेट अशोक कुमार गुप्ता ने 5 नवंबर 2022 को सूचना के अधिकार अधिनियम-2005 के अन्तर्गत डीडीयू के जनसूचना अधिकारी से एक सूचना मांगी थी। डीडीयू प्रशासन ने शुल्क जमा करा लिया लेकिन सूचना नहीं दी। बाद में डीडीयू द्वारा बताया गया कि सूचना का अधिकार अधिनियम- 2005 की धारा (3) के तहत वांछित सूचना देय नहीं है। इस धारा के तहत सूचना प्राप्त करने के लिए केवल नागरिक ही अधिकृत है न कि एडवोकेट।

सूचना नहीं मिलने पर अशोक गुप्ता ने राज्य सूचना आयोग में अपील दायर की। वहां सुनवाई के दौरान सूचना आयुक्त सुभाष चन्द्र सिंह ने दोनों पक्षों को सुना। उसके बाद 20 जून को निर्णय दिया। संबंधित वह निर्णय अब आयोग की वेबसाइट पर अपलोड हुआ है।

नागरिक की परिभाषा में नहीं आते एडवोकेट आयोग ने अपने निर्णय में कहा है, डीडीयू की ओर से जो जवाब दाखिल किया गया है, उसमें साफ कहा गया है कि एडवोकेट नागरिक की परिभाषा में नहीं आते हैं। वादी अशोक गुप्ता (एडवोकेट) के नाम से सूचना मांगी गई है न कि अधिवक्ता के लेटर पैड पर अथवा पदीय हैसियत से। आयोग प्रतिवादी के इस पक्ष से सहमत नहीं है। अधिनियम में प्रावधान है कि यदि कोई व्यक्ति किसी पदीय हैसियत या किसी संस्थान के लेटर पैड पर सूचना मांगता है तो वह सूचना अधिनियम की धारा (3) के तहत देय नहीं है। लेकिन प्रस्तुत प्रकरण में वादी द्वारा नाम से सूचना मांगी गई है न कि पदीय हैसियत अथवा अधिवक्ता के लेटर पैड पर।

स्पष्टीकरण प्रस्तुत न किए जाने का पाया गया दोषी आयोग द्वारा अगली सुनवाई की तारीख 20 जुलाई तय की गई है। आदेश में लिखा है, वादी को सूचना न दिए जाने एवं प्रकरण में किए गए विलम्ब का स्पष्टीकरण प्रस्तुत न किए जाने का दोषी पाते हुए प्रतिवादी जन सूचना अधिकारी/कुलसचिव के विरुद्ध सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 20 (1) के तहत अर्थदण्ड अधिरोपित किया जाता है, जिसकी अधिकतम सीमा 25 हजार रुपये तक हो सकती है।

तो विभागीय कार्यवाही की होगी संस्तुति
आयोग ने निर्देश भी दिया है कि नोटिस प्राप्ति के 3 कार्य दिवस के अंदर वादी को सूचना उपलब्ध कराएं। अगली सुनवाई तिथि पर सभी अभिलेखों के साथ कुलसचिव उपस्थित हों। स्पष्टीकरण भी प्रस्तुत करें। अन्यथा की स्थिति में उनके विरुद्ध अर्थदण्ड के साथ ही अधिनियम की धारा 20 (2) के तहत विभागीय कार्यवाही की संस्तुति भी कर दी जाएगी।

चौदह वर्षों से बकाया है कारोबारी का भुगतान
कारोबारी आनंद रूंगटा ने डीडीयू में फरवरी 2009 में आयोजित दीक्षांत समारोह की तैयारियों के दौरान 1.65 लाख रुपये का सेमी हाईमास्ट फिटिंग का कार्य कराया था। तत्कालीन कुलपति एनएस गजभिये के कार्यकाल में हुए इस कार्य का भुगतान 14 वर्ष बीत जाने के बाद भी अब तक नहीं हो सका है। इस मामले में वह चक्कर लगाते रहे लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। राजभवन, उच्च शिक्षा मंत्री, प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा को भी अनेक पत्र लिखे। राजभवन से जवाब भी मांगा गया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इसके बाद उन्होंने आरटीआई दाखिल की।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *