November 29, 2024

बंद पड़ी खदान को ईको-पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करेगा एसईसीएल

0

बिलासपुर

एसईसीएल ने कोरबा जिले में अवस्थित मानिकपुर पोखरी को ईको-पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है। यह छत्तीसगढ़ राज्य में इस प्रकार का दूसरा ईको-टूरिस्ज्म साइट होगा। इससे पहले एसईसीएल द्वारा सूरजपुर जिले में स्थित केनापरा में भी बंद पड़ी खदान को ईको-पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा चुका है जहां आज दूर-दूर से सैलानी घूमने और बोटिंग एवं अन्य गतिविधियों का लुत्फ लेने आते हैं। इस पर्यटन स्थल की प्रशंसा स्वयं माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ट्वीट के जरिये कर चुके हैं।

इस परियोजना के तहत एसईसीएल नगर निगम कोरबा से साथ मिलकर जिले में स्थित मानिकपुर पोखरी को ईको-पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए 11 करोड़ से अधिक की राशि खर्च करेगी। इस परियोजना के अंतर्गत बंद पड़ी मानिकपुर ओसी, जिसने एक पोखरी का रूप ले लिया है, को विभिन्न पर्यटन सुविधाओं से लैस एक रमणीक ईको-पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। हाल ही में कंपनी ने परियोजना के क्रियान्वयन के लिए चेक द्वारा कलेक्टर कोरबा को 5.60 करोड़ रुपए की राशि जारी की है।

8 हेक्टेयर से अधिक के क्षेत्र में फैली इस पोखरी को एक ईको-पर्यटन स्थल में परिवर्तित किया जाएगा जिसमें पर्यटकों के लिए विभिन्न सुविधाओं को विकसित किया जाएगा जैसे बोटिंग सुविधा, फ्लोटिंग रेस्टोरेन्ट/कैफेटेरिया, पोखरी परिसर में गार्डेन, सेल्फी जोन, चिल्ड्रन प्ले एरिया, क्लाइम्बिंग वॉल, रिपेलिंग वॉल, जिपलाइन रोलर कोस्टर, म्यूजिकल फव्वारा, भव्य प्रवेश द्वार आदि शामिल हैं।

मानिकपुर ओसी कोरबा जिले की सबसे पहली खदानों में से एक है। वर्ष 1966 यहाँ रूसी तकनीकी परामर्श से कोयला खनन की शुरूआत हुई थी। करीब 24 वर्ष बाद कोयला खनन के लिए खुदाई के दौरान यहाँ भू-जल स्रोत मिलने से यहाँ इतना जल भंडारण हुआ जिसे मोटर पंप आदि की सहायता से भी बाहर नहीं निकाला जा सका और अंतत: खदान को बंद करना पड़ा। इस परियोजना से कोरबा जिले के वासियों को एक नया पर्यटन स्थल तो मिलेगा ही साथ ही साथ यह लोगों के लिए आजीविका के नए स्रोत भी मिलेंगे।

गौरतलब है की राष्ट्रीय कोयला उत्पादन का लगभग 16त्न हिस्सा कोरबा जिले से आता है और यहाँ लगभग 6,428 मेगावाट क्षमता के कोयला विद्युत संयंत्र है। यहाँ देश ही नहीं बल्कि एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदानें स्थित हैं। कोल इंडिया द्वारा पूरे देश में बंद/परित्यक्त खदानों को ईको-पर्यटन स्थलों में बदलने की योजना पर काम किया जा रहा है जिससे न सिर्फ कोयला खनन होने के बाद भी ये खदानें पर्यटन स्थल के रूप में लोकप्रिय हो रहीं हैं बल्कि आस-पास के लोगों को रोजगार भी मुहैया करा रहीं हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *