September 28, 2024

क्रिश्चन, मुस्लिम, सिख के धर्मगुरुओं को मिलती हैं तनख्वाह, हिन्दु, जैन व बुद्ध के गुरु करते है फ्री में काम : ऋषि प्रवीण

0

रायपुर

टैगोर नगर के पटवा भवन में चल रहे चतुर्मास कार्यक्रम में पहुंचे अर्हम् विज्जा के प्रणेता ऋषि प्रवीण म.सा. ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि माँ में इतनी एनर्जी होती है कि वह अपने गर्भ में पल रहे बच्चों को 9 माह में वह सबकुछ सीखा सकती है जो वह उसे सिखाना चाहती है। तीन धर्मां क्रिश्चन, मुस्लिम और सिख के गुरुओं को उनके कामों का तनख्वाह मिलता है लेकिन हिन्दु, जैन व बुद्ध के गुरु फ्री में काम करते है क्योंकि आज के लोगों को फ्री की सेवा ज्यादा पसंद है।

उन्होंने कहा कि यह उनका पहला रायपुर प्रवास है क्योंकि यह भगवान श्रीराम का ननिहाल है। इससे पहले वे जोधपुर में थे। जहां पर भी वे जाते है पैदल ही जाते है और इस दौरान उनसे धरती पुत्रों से मुलाकात हो जाती है। आज सोशल मीडिया ने जिस तरह से कब्जा जमाया है वह रिश्ते और नातों को भी पीछे छोड़ दिया है इसमें सबसे बड़ा योगदान कोई दिया है तो वह है मोबाइल फोन। आज के बच्चे मोबाइल के बिना कुछ भी नहीं करते है यहां तक कि वे मोबाइल जब तक देखेंगे नहीं तब तक खाना भी नहीं खाते है। माता-पिता अपने बच्चों को कैसे सुधारें इसी पर हम दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन पटवा भवन में सोमवार से शुरू करने जा रहे है जिसमें रायपुर के 1000 और बाहर से 3000 टे्रनर उन्हें ट्रेनिंग देंगे। यह ट्रेनिंग कार्यक्रम विगत कई वर्षों से चलाया जा रहा है और इसका फायदा भी होते दिख रहा है। इस ट्रेनिंग कार्यक्रम में सिर्फ माता-पिता ही शामिल हो सकते है और उन्हें इस दौरान यह सिखाया जाता है कि वह जब गर्भ में होती है तो गर्भ में पल रहे नवजात शिशु को इस 9 माह के दौरान वह सबकुछ सीखा सकती है जो वह उसे सीखाना चाहती है। जब माता-पिता शिक्षित होंगे तो उनकी संतान भी शिक्षित होगी। बच्चों को मारने व डाटने से नहीं प्यार से समझाया जाता है, जितना उन्हें मारोगे व डाटोगे उसके स्वभाव में उतना ही बदलाव आएगा और आगे चलकर माता – पिता को ही पछतावा होता है। माँ में इतनी एनर्जी होती है कि वह बिगड़े हुए बच्चो को भी सुधार सकती है।

ऋषि प्रवीण म.सा. ने पत्रकारों के द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि दो दिन का यह शिविर नि:शुल्क नहीं है क्योंकि जब हम किसी से ज्ञान प्राप्त करने जाते है तो उसे शुल्क देते है, ठीक उसी प्रकार यह भी है। जैन साधु-संत कभी शुल्क नहीं लेते है लेकिन इस कार्यक्रम में जो ट्रेनर है उन्हें तो इसकी जरुरत पड़ती है इसलिए यह शुल्क लिया जा रहा है। तीन धर्मां क्रिश्चन, मुस्लिम व सिख धर्मों के धर्मगुरुओं को भी तनख्वाह मिलती है लेकिन हिन्दु, जैन व बुद्ध के धर्म गुरु फ्री में सेवा देते है। इस संबंध में उन्होंने विश्व हिन्दू परिषद के प्रवीण तोगडिया से बातचीत भी की थी कि हिन्दु धर्म के धर्म गुरुओं को भी तनख्वाह  मिलनी चाहिए। इसके अलावा इन धर्म गुरुओं को यह भी ट्रेनिंग दिया जाना चाहिए कि हिन्दुओं को वे जागरुक कर सकें लेकिन फ्री की सेवा होने के कारण वे इसमें ध्यान नहीं दे रहे है और धर्म परिवर्तन बेधड़क हो रहा है। अगर साधु-संत चाहे तो इसे रोक सकते है क्योंकि उनकी कही बातों को लोग अच्छी तरीके से सुनते और मानते भी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *