September 29, 2024

अभी बाकी है विपक्षी एकता का इम्तिहान, भाजपा को हराना इतना भी नहीं आसान

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नई दिल्ली

बेंगलुरु में हुई विपक्षी दलों की बैठक में मौजूद पार्टियों ने वर्ष 2024 मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ने का अपना इरादा दोहराया है, लेकिन एकजुटता की मुहिम का असल इम्तिहान अभी बाकी है। कांग्रेस की कोशिश है कि यह परीक्षा सबसे आखिर में हो, ताकि तब तक पार्टियों के बीच भरोसा पुख्ता हो जाए और वह जगह देने के लिए तैयार रहे, क्योंकि कई राज्यों में कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों में सीधा टकराव है।

विपक्षी दलों के बीच इम्तिहान सिर्फ एक-दूसरे के साथ सीधा टकराव नहीं है, उनके सामने एक और बड़ी चुनौती है। विपक्षी खेमा अभी तक यह दलील देता रहा है कि भाजपा को 37 फीसदी वोट मिले हैं, जबकि 63 प्रतिशत मतदाताओं ने उसके खिलाफ वोट किया है। ऐसे में विपक्ष के बिखरे हुए वोट इकट्ठा कर लिए जाए, तो जीत तय है, लेकिन वर्ष 2019 के आंकड़े बताते हैं कि 224 सीट पर पूरा विपक्ष मिलकर भी भाजपा को नहीं हरा सकता, क्योंकि भाजपा को 50 फीसदी से अधिक वोट मिले हैं। इसमें कांग्रेस की चुनौती सबसे बड़ी है, क्योंकि भाजपा ने कांग्रेस के साथ सीधा मुकाबले वाली सौ से ज्यादा सीट पर पचास फीसदी से अधिक वोट हासिल किए।

दिल्ली में भी सभी सात सीट पर भाजपा को पचास फीसदी से ज्यादा वोट मिले हैं। झारखंड में आठ, महाराष्ट्र में 15, यूपी में 40, बंगाल में पांच और बिहार में चार सीट हैं। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि एकजुटता के साथ हमें दूसरे प्रदेशों में अपना वोट भी एक-दूसरे को शिफ्ट कराना होगा, तभी मिलकर भाजपा को रोका जा सकता है।

एक सीट-एक उम्मीदवार
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक हम सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए चुनाव रणनीति को अंतिम रूप देंगे। एक सीट-एक उम्मीदवार के बारे में सवाल किए जाने पर उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश, बिहार और तमिलनाडु की 159 सीट पर कोई मुश्किल नहीं है। इसी तरह राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की 113 सीट भी एक उम्मीदवार रहेगा। यानि 272 सीट पर एक उम्मीदवार लगभग तय है। उन्होंने उम्मीद जताई कि पश्चिम बंगाल सहित बाकी राज्यों में सहमति बन जाएगी।

पीएम पद में दिलचस्पी नहीं : कांग्रेस
लोकसभा चुनाव में विपक्षी एकता के लिए कांग्रेस ने सबसे बड़ी पार्टी का फर्ज निभाते हुए साफ कर दिया है कि प्रधानमंत्री पद में उसकी कोई दिलचस्पी नहीं है। पार्टी के इस रुख से साफ है कि विपक्षी एकजुटता और सबको साथ लेकर चलने के लिए वह एक कदम पीछे हटने के लिए तैयार है। ऐसे में विपक्षी एकजुटता को हकीकत में बदलने के लिए एकता की मुहिम में शामिल पार्टियों को भी बड़ा दिल दिखाना होगा।

 

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