कैसे सर्वे करता है ASI? ज्ञानवापी केस में सच सामने लाने को इस्तेमाल होगी यह तकनीक
वाराणसी
वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के पक्ष में फैसला सुनाते हुए एएसआई को सर्वे के लिए मंजूरी दे दी है। सोमवार से ही परिसर का सर्वे शुरू हो जाएगा। लंबे समय से हिंदू पक्ष ज्ञानवापी परिसर के सर्वे की मांग कर रहा था। हिंदू पक्ष का दावा है कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया था और हिंदू धर्म से संबंधित साक्ष्य अब भी वहां मौजूद हैं। फिलहाल लोगों के मन में यह सवाल भी है कि एएसआई यानी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग किस तरह से यह सर्वे करता है और इसमें किस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है।
किसके अधीन काम करता है एएसआई
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग संस्कृति मंत्रालय के अंतरगत काम करता है। इसका काम देश की सांस्कृतिक धरोहरों का रखरखाव और अनुसंधान करना है। देश की पुरानी इमारतों का जिम्मा एएसआई को ही दे दिया गया है। 1861 के इसकी स्थापना के बाद से ही विभाग धरोहरों को सहेजने में पूरा योगदान दे रहा है। 1958 के संस्कमारक एवं पुरातत्वीय स्थल अवशेष कानून के तहत यह संबंधित मामलों के रेग्युलेशन का भी काम करता है।
सर्वे में किस तकनीक का इस्तेमाल
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण सच सामने लाने की कोशिश करता है। यह पुरानी इमारतों में ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार और अन्य आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके पता लगाने की कोशिश करता है कि यहां मौजूदा समय से पहले क्या हुआ करता था। ज्ञानवापी केस में भी एएसआई ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार का इस्तेमाल करेगा। इसके अलावा एएसआई की एक टीम आगे और पीछे सीधी रेखाओँ में चलकर पता लगाएगी कि दीवार या नींव में क्या दबा है, कलाकृतियां कैसी हैं, मिट्टी का रंग कैसा है। क्या इसमें कोई परिवर्तन हुआ है। सभी साक्ष्यों को सहेजने के बाद एएसआई रिपोर्ट तैयार करता है। इसमें समय के साथ हुए बदलावों का भी जिक्र किया जाता है।
एएसआई के सर्वे पर संस्कृति मंत्रालय की नजर रहती है। इसके अलावा कोर्ट के आदेश पर किए जाने वाले सर्वे की निगरानी कोर्ट भी करता है। बता दें कि एएसआई सर्वे की इजाजत विवादित स्थल को छोड़कर बाकी परिसर के लिए दी गई है। यह सर्वे वजूखाने के अलावा सील इलाके में होगा। वाराणसी की कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की विरोध करने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। एएसआई 4 अगस्त को सर्वे की रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेगा।