5 साल में 10.57 लाख करोड़ के बैड लोन माफ, 2022-23 का डेटा 2.09 लाख करोड़ के पार; RTI में बोली RBI
नई दिल्ली
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सूचना का अधिकार के तहत मांगी गई सूचना में जानकारी दी है कि मार्च 2023 को समाप्त वित्त वर्ष के दौरान बैंकों ने 2.09 लाख करोड़ रुपये (लगभग 25.50 अरब अमेरिकी डॉलर) से अधिक के बैड लोन माफ कर दिए हैं। इसके साथ ही पिछले पांच वर्षों में बैंकिंग क्षेत्र द्वारा कुल ऋण राइट-ऑफ का आंकड़ा 10.57 लाख करोड़ रुपये (लगभग 129 अरब डॉलर) हो गया है।
बड़े पैमाने पर बैड लोन माफी की वजह से बैंकों का सकल NPA पिछले 10 साल के सबसे निचले स्तर 3.9 फीसदी पर आ गया है। बैंकों का सकल एनपीए वित्त वर्ष 2018 में 10.21 लाख करोड़ रुपये था जो मार्च 2023 तक गिरकर 5.55 लाख करोड़ रुपये हो गया था। इसकी मुख्य वजह बैंकों द्वारा बैड लोन का राइट-ऑफ किया जाना है। RTI में दिया जवाब: आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, बैंकों ने वित्त वर्ष 2012-13 से अब तक 15,31,453 करोड़ रुपये (187 अरब अमेरिकी डॉलर) की बड़ी रकम की ऋण माफी की है। द इंडियन एक्सप्रेस के आरटीआई जवाब में RBI ने कहा है कि 31 मार्च 2023 को समाप्त हुए वित्त वर्ष के दौरान बैंकों द्वारा ऋण माफी बढ़कर 209,144 करोड़ रुपये हो गई, जबकि एक साल पहले मार्च 2022 में यह 174,966 करोड़ रुपये और मार्च 2021 में 202,781 करोड़ रुपये ही थी।
बट्टे खाते से 18 फीसदी ही वसूली
हालाँकि, ध्यान देने वाली बात यह है कि बैंकों द्वारा बट्टे खाते में डाले गए ऋण बैंकों की लेजर बुक में अप्राप्त ऋण के रूप में दर्ज रहेंगे। केंद्रीय बैंक ने आरटीआई के जवाब में कहा है कि बैंकों ने पिछले तीन वर्षों में बट्टे खाते में डाले गए 586,891 करोड़ रुपये के ऋणों में से केवल 109,186 करोड़ रुपये की ही वसूली की है, जिससे पता चलता है कि वे तीन साल की अवधि के दौरान बट्टे खाते में डाले गए ऋण का केवल 18.60 प्रतिशत ही वसूली कर सके।
NPA कम करने के लिए ऋण माफी
बता दें कि बैंक अपनी लेजर बुक में एनपीए को कम करने के लिए डिफ़ॉल्ट ऋणों को माफ़ कर रहे हैं। हालाँकि, बैंकों ने बट्टे खाते में डाले गए ऋणों से बहुत कम वसूली की सूचना दी है। वे वित्त वर्ष 2011 में केवल 30,104 करोड़ रुपये, वित्त वर्ष 2012 में 33,534 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2013 में 45,548 करोड़ रुपये की ही वसूली हो सकी है।
लोन कब बन जाता है NPA
जब किसी बैंक द्वारा कोई ऋण माफ कर दिया जाता है, तो वह बैंक की परिसंपत्ति पुस्तिका से बाहर हो जाता है। उधारकर्ता द्वारा ऋण चुकौती में चूक करने के बाद बैंक ऋण माफ कर देता है और वसूली की संभावना बहुत कम रह जाती है। हालंकि, बट्टे खाते में डालने के बाद बैंक विभिन्न विकल्पों का उपयोग करके ऋण वसूली की कोशिश करते हैं। कोई ऋण तब एनपीए बन जाता है जब मूलधन या ब्याज का भुगतान 90 दिनों तक बकाया रहता है।