सर्टिफिकेट केस में क्लीन चिट के बाद वानखेड़े बोले – सदमे में था परिवार और मैं भी टूट चुका था…
नई दिल्ली
जाति प्रमाणपत्र की जांच मामले में क्लीन चिट मिलने के कुछ घंटे बाद एनसीबी के पूर्व अधिकारी समीर वानखेड़े ने कहा कि उनके परिवार को निशाना बनाए जाने से वह आहत हैं। समीर वानखेड़े ने कहा कि उन्होंने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा के लिए लगा दिया लेकिन उन्हें दुख इस बात का है कि उनकी मृत मां और परिवार के लोगों को भी नहीं बख्शा गया। परिवार सदमे में था और मेरा मनोबल भी टूट गया था।
एनसीबी के पूर्व अधिकारी समीर वानखेड़े को जाति प्रमाण पत्र मामले में क्लीन चिट मिल गई है। जाति प्रमाण पत्र को लेकर पिछले एक साल से विवाद चल रहा था। जिसे खत्म करते हुए कास्ट स्क्रूटनी कमेटी ने साफ किया कि समीर वानखेड़े जन्म से हिन्दू थे। वानखेड़े ने बताया, "मैंने अपना सारा जीवन लोगों की सेवा के लिए काम किया है, लेकिन मुझे इस बात से दुख हुआ कि मेरी मृत मां सहित मेरे परिवार को नहीं बख्शा गया।" उन्होंने कहा, "परिवार सदमे में था और मेरा भी मनोबल टूट गया था।"
गौरतलब है कि कमेटी ने वानखेड़े के जाति प्रमाण पत्र को भी बरकरार रखा है। 91 पन्नों के एक आदेश में, पैनल ने दोनों पक्षों से सबमिशन को हटा दिया था और फिर कहा था कि वानखेड़े जन्म से मुस्लिम नहीं थे। समिति ने यह भी निष्कर्ष निकाला कि समीर वानखेड़े और उनके पिता ज्ञानेश्वर वानखेड़े ने हिंदू धर्म का त्याग नहीं किया था। आदेश में आगे कहा गया है कि समीर वानखेड़े और उनके पिता महार -37 अनुसूचित जाति के हैं जो हिंदू धर्म में मान्यता प्राप्त है।