‘कुकी से बातचीत न करे केंद्र’, मैतेई समुदाय की अपील…मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने की उठी मांग
इंफाल
इंफाल के कई नागरिक समाज संगठनों के साझा मंच ‘कोऑर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मणिपुर इंटिग्रिटी (COCOMI)' ने मणिपुर में जारी अशांति के लिए कुकी उग्रवादी समूहों को जिम्मेदार ठहराते हुए केंद्र से अपील की कि वह उनसे बात नहीं करे। इसी बीच मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग होने लगी है. यह मांग मणिपुर की 9 कुकी जनजातियों का प्रतिनिधित्व करने वाली जोमी काउंसिल संचालन समिति (ZCSC) ने की है। वहीं COCOMI ने यह भी दावा किया कि कुकी उग्रवादी संगठनों के सदस्य ‘विदेशी' हैं। COCOMI के संयोजक जितेंद्र निंगोम्बा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मीडिया के सूत्रों से हमें सूचना मिली है कि भारत सरकार कुकी संगठनों के साथ बातचीत करने वाली है। हम पूरी तरह से इसके खिलाफ हैं।'' उन्होंने कहा कि सरकार को संघर्ष विराम (SOO) से जुड़े संगठनों में से किसी के साथ वार्ता नहीं करनी चाहिए।
केंद्र, मणिपुर सरकार और दो कुकी उग्रवादी संगठनों- ‘कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन' (kuki national organization) और ‘यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट' (United People's Front) के बीच एसओओ पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह संधि 2008 में हुई थी जिसकी अवधि कई बार बढ़ाई गई। निंगोम्बा ने कहा, ‘‘ हम कुकी उग्रवादी संगठनों और भारत सरकार के बीच किसी भी वार्ता के विरूद्ध हैं क्योंकि ये संगठन विदेशी नागरिकों के संगठन हैं।'' उन्होंने कहा कि राज्य की क्षेत्रीय अखंडता को कायम रखने और पृथक प्रशासन की अनुमति नहीं देने की अपनी मांग को लेकर COCOMI 29 जुलाई को रैली आयोजित करेगी। मणिपुर में चिन-कुकी-मिजो-जोमी से संगठन से संबद्ध 10 आदवासी विधायकों ने मेइती और आदिवासियों के बीच हिंसक संघर्ष के आलोक में केंद्र से अपने समुदायों के लिए पृथक प्रशासन के गठन की अपील की है।
इस बीच, नई दिल्ली में एक अन्य संवाददाता सम्मेलन में, COCOMI के प्रवक्ता के. अथौबा ने राज्य और केंद्र सरकार पर मणिपुर में हिंसा को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘‘गुजरात दंगों (2002) के दौरान स्थिति को नियंत्रित करने में चार दिन लगे लेकिन मणिपुर जैसे छोटे राज्य में बल की तैनाती के बावजूद हिंसा को नियंत्रित क्यों नहीं किया जा सकता है।'' अथौबा ने असम राइफल्स पर उग्रवादियों का समर्थन करने का भी आरोप लगाया, और कहा कि उनका समूह इस संबंध में साक्ष्य इकट्ठा कर रहा है। उन्होंने मांग की कि अर्धसैनिक बल की कुछ बटालियनों को राज्य से हटा दिया जाए।
असम राइफल्स ने पहले ही COCOMI के खिलाफ राजद्रोह और मानहानि का मामला दर्ज किया है क्योंकि संगठन के प्रमुख ने बहुसंख्यक समुदाय से हथियार न सौंपने का आह्वान किया था। इस पूर्वोत्तर राज्य में करीब तीन महीने पहले जातीय हिंसा शुरू हुई थी जिसमें 160 से अधिक लोगों की जान चली गयी तथा सैंकड़ों अन्य घायल हुए। मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च' के दौरान हिंसा भड़की थी। राज्य में मेइती समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे अधिकतर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।