बिहार में NDA को एक ओर झटका 3 सांसद JDU में जाने को तैयार !
पटना
बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई में सरकार का गठबंधन बदलने के बाद भी राजनीतिक खेला खत्म नहीं हुआ है। अब जेडीयू का ऑपरेशन एनडीए शुरू हो गया है जिसके तहत बीजेपी से सरकार छीनने के बाद एनडीए के सांसद छीनने की तैयारी है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज है कि एनडीए के तीन सांसद बीजेपी और राजग का साथ छोड़कर जेडीयू महागठबंधन का हाथ थाम सकते हैं। कहा जा रहा है कि तीन सांसदों में ज्यादातर की राय है कि यह काम तत्काल कर लेना चाहिए लेकिन एक सांसद का कहना है कि भादो महीने के बाद ठीक रहेगा जिस दौरान बहुत सारे लोग शुभ काम टाल देते हैं।
सूत्रों का कहना है कि पशुपति पारस के नेतृत्व वाली लोजपा के तीन सांसद महबूब अली कैसर, वीणा देवी और चंदन सिंह एनडीए कैंप छोड़कर नीतीश के महागठबंधन कैंप में जा सकते हैं। नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री पशुपति पारस ने बिहार में एनडीए टूटने के बाद कहा था कि वो एनडीए में बने रहेंगे। महबूब अली कैसर खगड़िया, वीणा देवी वैशाली और चंदन सिंह नवादा लोकसभा सीट से सांसद हैं। पारस कैंप में पांच सांसद हैं जिसमें इन तीन के अलावा एक खुद पशुपति पारस और दूसरे उनके भतीजे प्रिंस राज हैं। चिराग पासवान के गुट में चिराग अकेले हैं।
खगड़िया के सांसद महबूब अली कैसर लंबे समय तक कांग्रेसी रहे हैं और बिहार में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। महबूब अली कैसर के बेटे यूसुफ सलाउद्दीन आरजेडी के टिकट पर सिमरी बख्तियारपुर से विधायक हैं। 2019 के चुनाव में जब महबूब अली कैसर का टिकट फंस रहा था तो नीतीश ने भी रामविलास पासवान से उनके नाम की सिफारिश की थी।
वैशाली की सांसद वीणा देवी के पति दिनेश सिंह जेडीयू के विधान पार्षद हैं। इसलिए उनको जेडीयू जाने में बहुत दिक्कत भी नहीं होगी। तीसरे सांसद हैं चंदन सिंह जो नवादा से सांसद हैं। चंदन सिंह लोजपा के बड़े नेता और बाहुबली सूरजभान सिंह के छोटे भाई हैं। चंदन सिंह राजनीतिक रूप से सूरजभान के फैसलों के साथ रहते हैं।
अगर लोजपा पारस गुट के ये तीन सांसद एलजेपी छोड़कर जेडीयू में शामिल होते हैं तो लोकसभा में जदयू बिहार की सबसे बड़ी पार्टी हो जाएगी। अभी जेडीयू के 16 और बीजेपी के 17 सांसद हैं। ये तीन अगर पाला बदलते हैं तो जेडीयू 16 से 19 हो जाएगी। बिहार विधानसभा में आरजेडी के हाथों सबसे बड़ी पार्टी का दर्जा गंवाने के बाद बीजेपी लोकसभा में भी बिहार की सबसे बड़ी पार्टी का रुतबा खो सकती है।