जगनमोहन से NDA को मिलेगी ताकत, दिल्ली विधेयक पर नहीं दिखेगा 26 का दम
नईदिल्ली
संसद के मानसून सत्र की शुरुआत ही विपक्ष के हंगामे के साथ हुई थी। सत्र शुरू होने से पहले ही विपक्ष ने गोलबंदी कर ली है। लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव के अलावा असली पावर टेस्ट दिल्ली अध्यादेश पर होना है। लोकसभा में तो एनडीए के पास भारी बहुमत है लेकिन राज्यसभा में संख्याबल कम है। ऐसे में वाईएसआर कांग्रेस के साथ मिलने से राज्यसभा में भी उसकी स्थिति मजबूत हो सकती है और आसानी से दिल्ली अध्यादेश पारित हो सकता है। आंध्र के सीएम जगनमोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस ने दोनों मुद्दों पर सरकार का साथ देने का ऐलान कर दिया है। लोकसभा में मणिपुर मुद्दे पर लाए गए अविश्वास प्रस्ताव और राज्यसभा में दिल्ली अध्यादेश पर पार्टी एनडीए के साथ खड़ो होगी।
वाईएसआर कांग्रेस के पास लोकसभा और राज्यसभा दोनों में अच्छा संख्याबल है। लोकसभा में वाईएसआर के 22 तो राज्यसभा में नौ सांसद हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार चुनी हुई सरकार का होगा। कोर्ट ने कहा था कि सार्वजनिक व्यवस्था और भूमिको छोड़कर सेवाओं का नियंत्रण चुनी हुई सरकार को सौंप दिया जाए. इसके एक सप्ता बाद ही केंद्र सरकार ने दिल्ली अध्यादे जारी कर दिया था।
वाईएसआर कांग्रेस के नेता वी विजयसाई रेड्डी ने कहा कि दोनों ही मुद्दों पर पार्टी सरकार का साथ देगी। बता दें कि सत्र के शुरुआत से ही विपक्ष मांग कर रहा है कि प्रधानमंत्री सदन में आकर मणिपुर पर बयान दें। इसी मांग को लेकर विपक्षी गठबंधन INDIA ने मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। लोकसभा में इसे स्वीकार भी कर लिया गया गया है। माना जा रहा है कि अगले सप्ताह इसपर चर्चा और फिर वोटिंग हो सकती है। भाजपा इस प्रस्ताव से निश्चिंत है क्योंकि लोकसभा में उसके पास बहुमत का अच्छा आंकड़ा है।
राज्यसभा में क्या है आँकड़ा
राज्यसभा में एनडीए के पास 101 सदस्य हैं जबकि 26 दलों के गठबंधन INDIA के पास 100 सदस्यों का समर्थन है। वहीं 28 सदस्य ऐसे हैं जो कि खेल बनाने और बिगाड़ने की क्षमता रखते हैं। इसमें बीआरएस के 7 विधायक हैं जो कि विपक्ष का साथ दे सकते हैं। वहीं बीजद और वाईएसआर कांग्रेस के 9-9 सांसद हैं। बीजद और वाईएसआर उच्च सदन में विधायी मामलों में सरकार का साथ देती आई है। ऐसे में माना जा रहा है कि दिल्ली अध्यादेश के लिए भी सरकार को राज्यसभा में ज्यादा जद्दोजेहद नहीं करनी पड़ेगी।