November 25, 2024

भगवान विष्णु के मंत्रों का जप पद्मिनी एकादशी पर करें, होगा धन लाभ

0

 सनातन धर्म में एकादशी का बड़ा महत्व माना जाता है. वर्ष के प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की तिथि को एकादशी का व्रत रखा जाता है. एकादशी का व्रत भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित होता है. इस दिन विधि-विधान पूर्वक भगवान विष्णु की पूजा आराधना की जाती और उनके मंत्रों का जप किया जाता है.

सावन माह की पद्मिनी एकादशी इस साल 29 जुलाई को है. इस बार के एकादशी पर ज्योतिष के मुताबिक कई अद्भुत संयोग बन रहे हैं, क्योंकि सावन माह में इस साल अधिक मास भी है और अधिक मास में भी भगवान विष्णु और भोलेनाथ की पूजा आराधना की जाती है. 29 जुलाई को होने वाले पद्मिनी एकादशी के दिन विधि-विधान पूर्वक श्री हरि विष्णु की पूजा-आराधना और उनके मंत्रों का जप करने से जीवन में तमाम परेशानियां दूर होती हैं.

एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित

 एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होता है. इस दिन अगर उनके कुछ मंत्रों का जप किया जाए तो समस्त कष्टों से निवारण मिलता है. उपासक को शीघ्र फल मिलता है. धन की प्राप्ति होती है.

भगवान विष्णु के पंचरूप मंत्र

ॐ अं वासुदेवाय नम:
ॐ आं संकर्षणाय नम:
ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:
ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:
ॐ नारायणाय नम:

धन-समृद्धि देने के लिए

अगर आप आर्थिक तंगी से परेशान हैं तो आपको एकादशी तिथि को श्री हरि विष्णु के इस मंत्र का जप करना चाहिए…

ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।

दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया, लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

संकट से मुक्ति के लिए

अगर आप के ऊपर कोई संकट है और उसका निवारण चाहते हैं तो एकादशी तिथि को भगवान विष्णु के इस मंत्र का जप करें

ॐ हूं विष्णवे नम:।
ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
ॐ नारायणाय नम:।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:

शीघ्र फल प्राप्ति के लिए

अगर आप एकादशी तिथि के दिन विधि विधान पूर्वक भगवान विष्णु के इन मंत्रों का जप करते हैं तो आपको शीघ्र फल की प्राप्ति होगी

ॐ विष्णवे नम:
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।

श्री हरि का खास मंत्र

ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *